QUOTES ON #YWDAIRY

#ywdairy quotes

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14 APR 2020 AT 12:20

दूसरों की हकीकत से दूर हूं मैं
सुना है हकीकत अपनों को भी पराया कर देती है।

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26 DEC 2019 AT 21:08

है हम गैर तो क्या, दिल में प्यार होना चाहिए।
मिले थे अजनबी तो क्या,अब रिश्ता ख़ास होना चाहिए।।

है मोल यहाँ खून के रिश्तों के महज ,
कोई परछाई सा साथ चले, ऐसा इतेफाक होना चाहिए।।

इस मतलबी शहर में कई मिलेंगे मतलब के साथ,
जो खड़ा रहे बिन मतलब से, ऐसा इक यार होना चाहिए।।

फूल भी मुर्झा कर चमन महका जाता,
टूट कर भी न टूटे जो , ऐसा रिश्ता-ऐ-खास होना चाहिए।।

है अल्फ़ाज़ मेरे कुछ फीके फीके ,
तो फीके ही सही,पर महक दोस्ती में नयाब होनी चाहिए।।

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29 DEC 2020 AT 18:10

ना किसी का आना बाकी है
ना कहीं मेरा जाना बाकी है
बस थोड़ी सी जिंदगी बची है
इसका गुज़र जाना बाकी है

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9 JAN 2021 AT 9:20

मेरी कोशिश 🙂🙃🙃...

रिश्ता अच्छा हो तो
उसे और बेहतर बनाने की कोशिश करता हूं
तुम बोलते हो
तब में चुप रहने की कोशिश करता हूं
वैसे चाय पीता नहीं में
तेरे साथ चाय पीने की कोशिश करता हूं
शरीफ़ बहुत हूं मै
लेकिन तेरे साथ बदमाश बन जाने की कोशिश करता हूं

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25 NOV 2019 AT 23:39

सब अपना अपना प्यार गिना रहें थें।
इक माँ थी जों चुप - चाप कोने में खड़ी थी।

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30 NOV 2019 AT 2:27

हाय रे स्त्री तेरी कहानी,
मानवता ही दोंहरा रहीं अपनी जुबानीं।
जैसें डूबता सूरज, प्यासें को पानी,
हाय रे स्त्री तेरी यहीं कहानी।।
सारे किरदार निभाया (माँ, बहन, बेटी, पत्नी,दोस्त),
तुझें नोंचते वक्त,किसी को कुछ याद न आया।
नजरें तो उनकी पहले से ही बाज जैसी थी,
पर तुझें अभी भीं यें समझ में न आया ।
इक बार फिर इन्सानियत जगेंगी,
कैन्डल मार्च और मीडिया में धूम मचेंगी।
फिर से तू लहरायेगी, सब की जुब़ा पर कुछ दिन के लियें छायेगी।
यहीं हैं तेरी कहानी,
जैसें डूबता सूरज,प्यासें को पानी।
हाय रे स्त्री तेरी यहीं कहानी।। - Komal Ojha


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कहते हो तुम्हें भी तकलीफ होती है मुझे दुखी देखकर तो फिर क्यों चले गए मेरी सारी खुशी छीन कर!!

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14 DEC 2020 AT 22:44

दिल का दर्द सुनाओ तो किसको
जब सुने वाला ही दर्द दिया हो
💘
बताए भी तो उसको मै कैसे
जब उसमें शामिल वो खुद हो
💘
ज़ख्म तो गहरा दे दिया पर
दिखाओ तो दिखाओ किसको
💘
जब सुने वाला ही शामिल हो
हर साजिश में तो समझाओ किसको

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2 JUL 2020 AT 22:09

एक शब्द मे कहू अपना हाले दिल,
हाँ मुझे आज भी तेरा इंतजार है......

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24 MAY 2022 AT 11:51

वो मंदिर मस्ज़िद करते है,मेरे घर में चूल्हा कैसे जले?
उन्हे मज़हब गुम होने का डर, मेरे पिता के हाथ हैं छाले पड़े।
हमे राम रहीम में बांट रहे, मेरा क्या धर्म ना जानूं मैं
मुझे मतलब दो रोटी से है, उसको ही पीर सा मानू मैं।।
मन्दिर से पहले मस्ज़िद हो, या मस्ज़िद से पहले हो मन्दिर, इस बात को कैसे मानू मैं?
हा,धरती बंजर नही रही, होगा यहां खेत किसानों का, जिसपे होंगे कभी हल थे चले।
फिर जब्त किया खलिहान मेरा, मजहब के ठेकेदारों ने, उन धर्म के पालनहारो ने।
कभी राम मिले, कभी थे अल्लाह,
मेरी वो फसल तबाह हुई।
अब भेद रहे है पहेली को
कब थे अल्लाह कब राम मिले।।।।......

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