हाय रे स्त्री तेरी कहानी,
मानवता ही दोंहरा रहीं अपनी जुबानीं।
जैसें डूबता सूरज, प्यासें को पानी,
हाय रे स्त्री तेरी यहीं कहानी।।
सारे किरदार निभाया (माँ, बहन, बेटी, पत्नी,दोस्त),
तुझें नोंचते वक्त,किसी को कुछ याद न आया।
नजरें तो उनकी पहले से ही बाज जैसी थी,
पर तुझें अभी भीं यें समझ में न आया ।
इक बार फिर इन्सानियत जगेंगी,
कैन्डल मार्च और मीडिया में धूम मचेंगी।
फिर से तू लहरायेगी, सब की जुब़ा पर कुछ दिन के लियें छायेगी।
यहीं हैं तेरी कहानी,
जैसें डूबता सूरज,प्यासें को पानी।
हाय रे स्त्री तेरी यहीं कहानी।। - Komal Ojha
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