वो मुँह बोली बेटी हैं
लेकिन लगती बिलकुल माँ जैसी हैं
उसका और उनका (माँ) एक जैसा होना
किसी करिशमे से कम नहीं है
जैसे माँ का होना भी उसके जीवन में
किसी फरिशते से कम नहीं हैं
वो माँ भी खूब लाड-प्यार लूटाती हैं
कुछ यूँ समझ लो तुम जैसे यशोदा मैया
कन्हैया पर ममता लौटाती हैं
मैया की इतनी दुलारी हैं वो बिटिया
प्यार में माँ के भूली-बिसरी दुनियादारी हैं वो बिटिया
माँ भी कुछ इस तरह साथ निभाती हैं
यूँ लगता है जैसे आत्मा बनकर
अपनी बेटी की देह का साथ निभाती हैं
उस बेटी को बस प्यार की नौमाईश हैं
लेकिन दुनिया ने कुछ यूँ सितम किया हैं
माँ-बेटी का सब कुछ बदल दिया हैं
बेटी तरसती है उस माँ के लिए
जिस से उसने खुदको पाया हैं
कान्हा ये कैसी रीत बनायी हैं
प्यार में ही क्यो जुदाई हैं
वो भी प्यार ऐसा दोनों का
जिसमें सिर्फ प्यार की ख्वाईश हैं
कुछ ऐसा तुम कर दो कान्हा
दुनिया में कमाल हो जाए
और कुछ हो या न हो
माँ-बेटी साथ हो जाए
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