मैं !
मैं प्रभात हूँ,
मैं दीप्त हूँ,
हाँ ! मैं दीप्त हूँ,अभी प्रारंभ का |
मैं प्रगाढ़ हूँ धीरता का |
मैं सरस हूँ संवेदनाओं का |
और प्रखर हूँ उत्तेजनाओं का|
यूँ बाह्य मुझमें झांकोगे उलझ जाओगे |
मैं कुटिल हूँ और स्वार्थ भी मुझमें |
मैं जटिल हूँ और अनाविल भी मुझमें|
मैं उभयभाव हूँ,
जो मुझे समझोगे तो उलझ जाओगे |
मैं आशुतोष हूँ खुद में संतोष हूँ |
मैं प्रभात हूँ और अभी उदय में हूँ |
बस इतना सा है परिचय मेरा,
शायद ! तुम समझ जाओगे |
या फिर उलझ जाओगे |-
दूसरों की बुराइयां तो बहुत निकालते हो तुम ,
चलो आज अपनी अच्छाइयां भी गिनवा दो ।-
तुम मान लो कि मेरी मोहब्बत है पूरी और तुम्हारी आज भी अधूरी है ,
मै चाहता हूं दिल से तुम्हें मगर लगता है तुम्हारी मजबूरी है ,
तुम्हे किसी और से मोहब्बत है बात वही पूरी है ,
तुम खुश रहो हमारा दुखी होना ही ज़रूरी है ,
कभी तेरी मोहब्बत मेरी ताकत थी आज मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है ,
जा तू हो जा किसी और कि मगर मेरे ख्वाबों में तू हमेशा मेरी है ।-
Ab rehne do unn baato ko
Jinn baato ne hume bina baat kiye rehne dia tha-
Tu ise sapna samajh ya hakeekat
Aaj aankhe nam hai aur vajah tu hai-
दिल की एक ही तमन्ना कि तेरी दीद करूँ
तू है नहीं मेरे सामने तो कैसे ईद करूँ।-
जानते हो ईश्वर हो तुम मेरे, रहते हो हृदय में,
फिर क्यों खोजते हो, खुद को मेरे नयनों में!!-
Don't allow the dark clouds of your past
To destroy the sunshine of present-