Ashutosh Prabhat   ("आशुतोष प्रभात")
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Joined 1 March 2020


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Joined 1 March 2020
20 JUL 2023 AT 22:20

चुकी गधा अपने शरीर से ज्यादा का बल सह सकता था।
तो यह कहावत "गधा है क्या ?" प्रसिद्ध हुई थी।

और आज मनुष्य अपने मनोबल से ज्यादा मानसिक
कार्य करने की होड़ में है। फर्क बस इतना है कि गधा शारीरिक
रूप से, पर मनुष्य मानसिक रूप से यह कार्य में जुड़ा है।

जवाहर लाल नेहरू द्वारा 1947-1964 में
Industrialisation(आधुनिकता) की शुरुआत गधों को तो
उस बोझ से आजादी दिला दी।
पर प्रश्न है,
मनुष्य को कब, कौन और कैसे,
इस मानसिक बोझ से आजादी दिलाएगा ?

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25 JUN 2022 AT 23:48

आन छूटे द्राण छूटे
आज ये मुझसे मेरी पहचान छूटे।

लिपट गई है मेरी आह से,
अफ़सोस तीखे है मेरी गुमान में।

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23 JUN 2022 AT 6:30

हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ?
रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ?

जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते,
हमारा यार है हम में हमन को इंतजारी क्या ?

खलक सब नाम अनपे को, बहुत कर सिर पटकता है,
हमन गुरनाम साँचा है, हमन दुनिया से यारी क्या ?

न पल बिछुड़े पिया हमसे न हम बिछड़े पियारे से,
उन्हीं से नेह लागी है, हमन को बेकरारी क्या ?

कबीरा इश्क का माता, दुई को दूर कर दिल से,
जो चलना राह नाज़ुक है, हमन सिर बोझ भारी क्या ?
~संत कबीर

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9 JUN 2022 AT 6:29

चलो सभी खुद की तारीफ में...
मेरे प्रोफाइल में से कोई एक पसंदीदा पोस्ट
को नीचे कमेंट्स में कॉपी पेस्ट करें।😀😀

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6 JUN 2022 AT 6:56

जिस सादगी ने मुझे कही का नही रखा,
वो आज कह रही है कुछ तो गुनाह कर।
~ आयुष्मान खुराना— % &जिंदगी ने बहुत समझदार बना रखा है,
मुझे आज बस जिद्द करने का मन है ।
~ आयुष्मान खुराना— % &दिखाने लगता है वो ख्वाब आसमान के,
जमीं से जब भी मैं मानुस होने लगता हूं।
~आयुष्मान खुराना— % &कुछ नही मिलता
दुनिया में मेहनत के बगैर।
मेरा अपना साया
मुझे धूप में आने के बाद मिला।
~आयुष्मान खुराना— % &ये परिंदो की मासूमियत है वर्ना,
दूसरों के घर में अब आता जाता कौन है।
~आयुष्मान खुराना— % &कितना आसान था बचपन में सुलाना हमें,
नींद आ जाती थी परियों के कहानी सुन कर..
~आयुष्मान खुराना— % &बात बात पर मुस्कुराता है ये आदमी,
किसी छोटे शहर से आया हुआ लगता है।
~आयुष्मान खुराना— % &हँसना चाहूं भी तो हँसने नही देता मुझको,
ऐसा लगता है कोई मुझमें खफा है मुझसे।
~आयुष्मान खुराना— % &रात भर चलती रहती है उंगलियां मोबाइल पर,
किताब सीने पर रख कर सोये हुए एक जमाना हो गया।
~आयुष्मान खुराना— % &

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18 APR 2022 AT 0:05

These days I'm gonna horribly busy.
So I'm truely sorry that I'm goona unavailable for upcoming months.
I will be very thankful for being stay tuned.

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16 APR 2022 AT 10:37

मेरा वो हर ख्वाब झूठा रह गया,
इश्क में हर दाग उसका झूठा रह गया।
मिलते थे जो हर रोज नए अरमां लिए,
लम्हे गुजरे तो वो वक्त भी झूठा रह गया।

स्वर उसके मीठे घोल लगे थे,
मौन श्रुति बस पीता था।
साथ उसका सौगात लगे थे,
शांत सहज बस वो मेरे कांधे सोता था।

नेकी नेकी मेरी उसकी,
साथ किसकी, उसकी न अब मेरी।
वो कही दूर किसी दूजे के ख्वाहिश में,
मैं कही और किसी खुदी की ख्वाहिश में।
सच कहते थे लोग पुराने,
जो भी - जब भी ख्वाहिश देखा,
यहां हर ख्वाहिश झूठा रह गया।

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14 APR 2022 AT 14:41

सोचता हूं फिर किसी का हो जाऊं..
फिर एहसास पुराना, किसी के होने नही देता।

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19 MAR 2022 AT 18:06

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15 MAR 2022 AT 19:59

मैक्स बेबर ने कहा है...

ज्ञान जितना बढ़ा है,
जीवन का रस उतना ही कम हो गया है।

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