है कुछ कहानी सुन एैसी जिंदगी
बड़ी ज़िद्दी और उन जैसी ज़िन्दगी
ख़ामोशी पिघलती रही तेरे नरम होटों पे
लब्ज़ कैद कितने, कितनी बेबसी, ज़िन्दगी
तुझको मुझसे इतनी शिकवा है मगर
जलेगी तब ही होगी, उजलीसी, ज़िन्दगी
उम्रभर तरसतें है लोग, हसीं लम्हों को
लम्हे में ही जी लेतें हैं, हँसी, ज़िन्दगी
आज तो नहीं फिर कभी हिसाब करते हैं
गुजरी कितनी अबतक, कैसी ज़िंदगी
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