पाऊस
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इसे सुन कर कोई वाह करता है, कोई आह,
हिम्मत सच कहने की... read more
सुबह
हो गई है,
पर
रात
बरकरार है,
बात
हो गई है,
जज्बात
बरकरार है..-
खैर है के वो अब भी यूं खैरख्वा़ह हैं,
देख जमाने हम जो भी हैं, बेगुनाह हैं ,
जिस्म़ मिट जाएंगे, शोक क्यूं मनायें,
जिंदा रहता लेकिन हरएक अरवाह हैं,
हां ज़िक्र मैं करता नहीं तुमसे कभी,
बाकी जो रह चुका यहां बेपनाह हैं,
दिक्कत तो है हर किसी को ज़माने,
मसायल अपना कुछ भी, इसलाह हैं,
फर्क तो हममें यकिनन रहेगा मिरवी,
तुम बने सैरगाह और हम खानकाह हैं,
फकीर कर रहें हैं मसलते रियासतीं,
रियासती बन गयें फकीर, अफवाह है,
ये क्या सवाल के क्यों छोड़ दिया है,
बेइंतहा जो उनकी हमे भी परवाह है...-
Dear My Team,
Thank you for remembering me on this special day.
I'm grateful to have shared the
"Main Aur Meri Zindagi" with you all
and have learned a lot from each one of you.
Let's focus on our work and connect when necessary.
Wishing you all a happy Guru Purnima!
Love 💕
Ravindra mane
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असेही कळाले कुठे आहे मग मला,
नको जरी बोलू पण तू बघ मला,
तुला कुठे सांगतो काय होते माझे,
अशी जाळते विरहाची धग मला,
तू अर्धांगिनी, पूर्ण सोनुली माझी,
आहे मिळाले खरे, सारेच जग मला..-
ज्ञान की तृष्णा है,
तो
ज्ञान भी तृष्णा है,
अगर
तृष्णा है तो ज्ञान कैसे हो?-
तुका माझा झाला असा विठ्ठल विठ्ठल,
केलिया आळवण भक्ता मंदी ,
आणिक सांगतसे राम कृष्ण हरी,
देवा, तु माऊली जगताची..-
तुका माझा झाला असा मुक्त संसारी,
केलिया उधळण धनाचीया,
आणिक देवाची म्हणे ही काया
देवा, तु सावकार म्हणतसे..-