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क्या सिख क्या ईसाई
मैंने तो बनाया सिर्फ इंसान
फर्क करते करते खुद लड़ते रहो
क्या हिन्दू क्या मुसलमान
पानी भी नही पूछते हो उसे
जिसका दर्जा है बराबर भगवान
सबका पेट भरने वाला
भूखा बैठा है वही किसान
रास्ते पर जाती लड़की को छेड़ते हो
क्यों बन जाते हो हैवान
आज भी याद करता हूँ वो दिन
जब बनाया था मैंने यह नन्हा जहाँ
//काश मैं अंधा होता - भगवान-
Are women safe in india ??
It's not just a million
dollars question?
It's a million daughters question ?
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It's not just about equal rights
It's about those awful eyes and scary nights-
वर्तमान मे समाज की विचारधारा
की अगर लोग किसी टी वी कार्यकर्म में देवी को
इस तरह के वस्त्र पहने देखे तो वो देवी हैं सम्मान करो
अगर एक लड़की को ऐसे कपड़े में देखे तो वो बेशरम-
माँ ने अपनी काया से जनकर,
नित् ममता से उसको सींचा होगा,
एक पिता ने गोद में लेकर,
बड़े नाज़ों से उसको पाला होगा,
ज्यों हरे-भरे उपवन का कोई
नव- पुलकित मृदु-प्रसून होगा,
पर हैवानों ने उस कुसुम को तोड़कर,
कुछ इस कदर रौंद डाला,
करता रहा जतन,जूझता रहा
बचाने को अपनी कोपल- सी पंखुड़ियां,
फिर भी हैवानों की हैवानियत से
वह कहाँ बच था पाया।।
क्या बीत रही होगी उस माली(पिता) पर ?
जिसने अपने खून-पसीने से उसको सींचा था,
कैसे जियेगा ?अब माली(माँ) वह...
जिसके लिए वह प्रसून ही पूरा फुलवारी था!!
(जघन्य अपराध उन* का था,
फिर क्यों दण्ड उस मासूम को मिला?
हैवानियत उनमें* थी,
तो फिर क्यों वह प्रसून कलंकित हुआ?)-
वो रक्षा-सूत्र बंधवाकर कहते, है मेरी
जिम्मेदारी तुम्हारी सुरक्षा का ,ये मेरा वादा है ।
देखकर परिस्थिति जमाने का , लगता है उस
रक्षा-सूत्र की जरूरत हम बहनों को ज्यादा हैं ।
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बुझा मोमबती उठा तलवार अब बहुत हुई चुपी अब तू बुलंद कर आवाज अब चार दिन का धरना नहीं अब तू कर उन हैवानों को जला कर राख...
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