कितना मासूम दिल था मेरा
मैं खुद को सबकी आंखों का
तारा समझता रहा
सबकी इच्छा पूरी करने के लिए
मैं हर बार आसमा से कटता रहा
मेरे आंखों के पानी को सबने
खुशी के आंसू समझ लिए
फिर क्या बोलता,मैं भी बस हंसता रहा-
"कभी वो दिन भी आएगा
के आजाद होंगे हम
यह अपनी जमीन होगी
ये... read more
आजकल मां बाप को बच्चों का सहारा नहीं होता
टूटी नौका का भी कोई किनारा नहीं होता
औलाद की खुशी के खातिर झुक गया वो
वरना एक बाप जिंदगी में कभी हारा नहीं होता-
अब वो ज़माना ना रहा
जब लोग लंबी उम्र की अरदास करते थे
तंग हर शख्स जिंदगानी से इस कदर की
अब लोग आसान मौत की आस करते है
फिक्र कहां रिश्तों में अपनों की,
अब तो लोग रिश्तों को सिर्फ बर्दास करते है
आज एक टूटा तो कल,
नए रिश्ते का आगाज करते हैं-
खुले आसमा के नीचे साथ था मैं उसके,
पर उसके जहन में ओर कोई चलता रहा
किताबों ने चालाकी नहीं सिखाई मुझे
इसलिए मैं हर बार बेवकूफ बनता रहा
कुछ तो बेवफाई तुझमें भी रही होगी,
यूं ही थोड़ी घर के करीब तु थी मेरे,
ओर समय तेरा उसके साथ निकलता रहा-
वो अपना होता तो झूमता ना
सांप की तरह गेरो के बिन पे
जहर उसके जैसा ना मिला मुझे
मैने देखा है दुनिया भर की आस्तीन में
सांप डंसता तो इलाज़ करवाते
उसने तो मोहब्बत में मारा है हमे
शरीर से मेरी रूह को छिन के-
कुछ देर की तबाही के बाद
तो तूफान भी शांत हो जाता है
हमसे ऐसी क्या खता हुई कि,
तु हमे खत्म करने में लगा है-
चांद तारों की चाह है अगर
तो रात का अंधेरा होना चाहिए
देखना है सूरज की लालिमा
तो जल्दी सवेरा होना चाहिए
दस्तक तो बहुतों ने दि मगर,
तेरे दिल के दरवाजे पे
नाम सिर्फ मेरा होना चाहिए-
डूबती कश्ति को किनारा मिल जाएगा
इस टूटे दिल को सहारा मिल जाएगा
एक बार तू ख्वाब से निकल के हकीकत में तो आ
हमें जिंदगी जीने का मकसद दोबारा मिल जाएगा-
महंगाई की मार इस कदर पड़ती है गरीबों पे
की अब मौत भी नसीब होती है किस्तों में-
की अब सुन लेती हुं मैं, हर किसी की बात को
लोग शोहरत से आंकते हैं आजकल औकात को
ये जो तोलते हैं हैसियत मेरी, पैसों के तर्ज पे
जिंदगी की डायरी में लिखा है, मैंने सबके हिसाब को-