जुल्फ़े हमारी गिली है
और भीग वो रहे है ..!!-
25 APR 2020 AT 9:27
मैं चाहता हूं कि मेरे जीवन की हर सुबह कुछ यूं हो,
नींद से जब सोया रहूं मैं तो तुम मुझे जगाने की खातिर,
बस यूं ही शरारत में गीले बालों को मुझ पर झटक कर,
पानी की कुछ बूंदों को मेरे चेहरे पर टपकाकर मुझे सुबह उठने के लिए मनाओं।।।।-
5 OCT 2019 AT 0:27
क्या बताएं उसे इस दरिया-ए-दिल पर क्या गुजरती,
जब भी उसकी भीगी जुल्फें उसके नूर-ए-बदन पर इतरती,
उसे देख के ना जाने क्यूं हवाएं अपनी रुख़ मोड़ लेती,
जब भी वो अपनी नवाबी चाल से उस गली में थिरकती।-
17 JUN 2019 AT 19:56
આ વરસાદનાં ઝાપટાં થી ક્યાં કઈ રાહત મળે છે મને,
મને તો બસ તારાં વાળમાંથી વછુટેલી બુંદ જ આનંદ આપે છે...-
15 FEB 2019 AT 22:30
कहने को कुछ हमारे अंदरूनी दर्द जक्जोर रहे थे,
तब वो आये, कुछ बातें करने, कुछ दर्द मिटाने,
जाने क्या खलिश थी उन बातों में, उस दिल्लगी में,
की हमें हसा कर, ना जाने वो खुद ही रो दीये।-