मेरी मोहब्बत का तुझसे बस एक ही मुतालबा है,
के मेरा होना बस मेरा है, तेरा होना बस तेरा है।
ये आँखें जो तेरे इश्क़ में जागती हैं,
इनका बस एक ही मुतालबा है,
के तेरी यादें कभी न कम हों, तेरी बातें कभी न थमों।
ये दिल जो तेरे लिए धड़कता है,
इसका भी तुझसे मुतालबा है,
के तू कभी न बदले, के तू कभी न झूठे।
ये जान जो तेरे लिए हाज़िर है,
इसका भी तुझसे मुतालबा है,
के तू मेरी हो, के तू सिर्फ मेरी ही हो।-
ज़ंज़ीर भले ही कितनी ही मज़बूत क्यूं न हो,
मगर सपनों को लांघने की उसमें ताक़त नहीं।-
કેસરી, સફેદ અને લીલો,
આપણા ગૌરવનો છે ત્રિવર્ણી ધ્વજ.
અશોક ચક્ર છે એની ઓળખ,
સૌ ભારતવાસીઓ માટે ગર્વ છે.આઝાદીના સૈનિકોની ગાથા,
શહીદોની યાદ અપાવે છે.
તિરંગાની શાન,સર્વધર્મ સમભાવની વાત સમજાવે છે.
ગગનમાં ઊંચો ફરકાવવો,
આપણું સપનું છે.
ભારતની એકતા અને અખંડતા,આપણો સંકલ્પ છે.
તિરંગાની શાન,
હિન્દુસ્તાનની શાન છે.
જય હિન્દ, જય ભારત!-
वो मेरे ख़्वाब में यूँ ही दख़्ल-अंदाज़ी करता है,
कि नींदें मेरी हैं और हर रात वो जगता है।
ख़ामोशी में भी वो अपनी मौजूदगी का एहसास कराता है,
वो मेरे दिल में यूँ ही दख़्ल-अंदाज़ी करता है।
मेरी सोच पे, मेरे अहसासों पे, हर बात पे वो अपना हक़ जताता है,
न जाने क्यों वो हर बात पे दख़्ल-अंदाज़ी करता है।
वो मेरी ज़िन्दगी में यूँ ही आता है, यूँ ही जाता है,
ये कैसा रिश्ता है, जो बिना पूछे ही अपना वजूद बनाता है।
ऐ 'ज्ञानवती' ये कैसा इश्क़ है,
वो मेरे दिल में यूँ ही दख़्ल-अंदाज़ी करता है।-
आँखों के दरमियां दुःख-दर्द तो बहुत है,
मग़र नए जहां की उम्मीद अभी ज़िंदा है।-
तेरे आने की ख़बर सुन कर, दिल में कैसा शग़ब है,
ये कैसी हलचल है, ये कैसा शोर है, ये कैसा सबब है।
कभी तेरी यादों का शोर, कभी तेरी बातों का शोर,
ये कैसा हंगामा है, ये कैसा अजीब सा ग़ज़ब है।
ये दुनिया के शोर से अलग है, ये दिल का शग़ब,
जो न सुनाई दे, वो कैसा अजीब सा दर्द है।
ये ख़ामोशी भी अब तो शोर करती है,
जब तेरी यादें आती हैं, तो बस एक ही आवाज़ है।
अब तो बस इसी शग़ब में जीना है,
क्योंकि इसी शोर में तेरी मोहब्बत है, इसी में तेरा इंतज़ार है।-
કેટલીક વાતો અનકહી રહી ગઈ,
કેટલાક સપના અજાણ્યા રહી ગયા.
વચનો પૂરા ના થયા,
અને મિલન અધૂરું રહ્યું.
આંખોમાં આંખો મળી,
પણ દિલના દ્વાર ન ખૂલ્યા.
તમે મારી અંદર હતા,
પણ આપણે એકબીજાને ઓળખી શક્યા નહીં.
એક અધૂરી ઓળખાણ,
એક અધૂરું મિલન.
આપણી વાર્તા આમ જ રહી ગઈ.-
नज़र ने तेरे दिल पर कुछ इस तरह से किया है मक़बूज़ा-जात,
कि हर धड़कन पे बस तेरा ही नाम लिखा है,
तेरा ही नाम, तेरी ही बात।
ये यादें हैं या है कोई सरहद की ज़मीन,
कि पलकों के किनारे पे एक लम्हा है अफ़सोस का,
एक लम्हा है ख़ुशी का साथ।
हर आह में तेरी तस्वीर, हर सांस में तेरा एहसास,
रूह में उतर कर तूने कुछ इस तरह से बसाया है ख़ुद को कि,
हर दर्द में भी तेरा ज़िक्र है, हर राहत में भी तेरा ही हाथ।
कभी दिल में हो तुम, कभी नज़रों से दूर,
ये कैसी कश्मकश है, कैसा ये अजीब मक़बूज़ा-जात।
ये दिल अब मेरा नहीं, तेरी अमानत है,
अब तो बस इसी आस में हूँ कि
तू कब समझेगा इस दिल के दर्द को,
तू कब आएगा और करेगा इसका हिसाब।-
दिल तुम्हारा था, मगर मक़बूज़ा मेरा है,
के हर साँस में, बस तेरी ही याद है।
दिल की ज़मीन थी, और मक़बूज़ा तुम्हारा है,
के हर साँस में अब, बस नाम तुम्हारा है।
ये कैसा रिश्ता है, जो तुझसे जुड़ गया,
के हर बात में, अब तेरा ही ज़िक्र है।
तू जब भी आता है, एक ख़ुशी छा जाती है,
के हर दर्द भी, अब सुकून में है।
मैं भी अब थक गया हूँ, इन झूठे वादों से,
के अब हर रिश्ते में, बस एक बेबसी है।
'ख़ामोशी' भी कहेगी, ये कैसी मोहब्बत है,
के जिसमें अब मेरा, हर पल तुम्हारा है।-
ये कैसा तबादला है, जो मेरे दिल में है,
के हर साँस में, बस तेरी ही याद है।
ये कैसा रिश्ता है, जो तुझसे जुड़ गया,
के हर बात में, अब तेरा ही ज़िक्र है।
तू जब भी आता है, एक ख़ुशी छा जाती है,
के हर दर्द भी, अब सुकून में है।
मैं भी अब थक गया हूँ, इन झूठे वादों से,
के अब हर रिश्ते में, बस एक बेबसी है।
'ख़ामोशी' भी कहेगी, ये कैसी है दुनिया,
जहाँ हर कोई, एक दूसरे से बेज़ार है।-