''''कोना''''
शब्द बहुत ही साधारण सा है
पर
हर किसी के अपने मायने हैं कोने के,
कोई सब से छुपकर रोने के एक कोने की तलाश कर रहा है तो
कोई दुनिया की भीड़ से दूर चंद सुकून के लम्हों की ख्वाहिश में एक कोना ढूंढ रहा है,
कोई मन की शोर से दूर भगाने की ख्वाहिश में एक कोने की तलाश कर रहा है तो
कोई अपने दिल की आवाज को दबाने के एक अंधेरे से कोने की खोज कर रहा हैं,
आखिर सब की जिन्दगियों में ये कोने इतने जरुरी क्यूं हैं????
.
.
हाँ
शायद ये कोने ही है जो आज ही हमारी बातों, जज्बातों, ख्यालों, एहसासों, ख्वाहिशों को एक तालें लगें संदूक की महफूज रखतें हैं।।।।।-
दिल है जनाब,
पत्थर ना समझें,
इसे चोट भी लगती है
और दर्द भी महसूस होता हैं।।।।-
हम नासमझ, लापरवाह, बेपरवाह,
गैर-जिम्मेदार ही सही थे,
इस समझदार और जिम्मेदार बनने
की ज़िद में जिंदगी से खुशियां कहीं
गुम सी हो गई हैं।।।।-
तेरी याद क्यों आती है पता नहीं,
पर जब भी आती है तो दिल में एक
कसक सी उठती हैं।।।।-
भाग रही हूँ मैं,
भाग रहें हैं वो,
फर्क सिर्फ इतना है कि मैं खुशियों
की तलाश में भाग रही हूँ,
और वो दर्द का समंदर मेरे नाम करने
की खातिर मेरे पीछे भाग रहे हैं।।।।-
आँखों से नहीं जाती सूरत तेरी,
ना जाती है दिल से ये मोहब्बत तेरी,
तुम से बिछड़ने के बाद ये एहसास हुआ मुझे,
तुम सिर्फ चाहत ही नहीं थी,
तुम मेरी जरूरत, मेरा जुनून,मेरा गुरूर,मेरी दुनिया थी,
हाँ सिर्फ तुम ही तुम थी, हो और हमेशा तुम ही रहोगी........-
आँखों से नहीं जाती सूरत तेरी,
ना जाती है दिल से ये मोहब्बत तेरी,
तुम से बिछड़ने के बाद ये एहसास हुआ मुझे,
तुम सिर्फ चाहत ही नहीं थी,
तुम मेरी जरूरत, मेरा जुनून,मेरा गुरूर,मेरी दुनिया थी,
हाँ सिर्फ तुम ही तुम थी, हो और हमेशा तुम ही रहोगी........-
दर्द तो दिल में था,
ना जाने कब और कैसे किस्मत बन गया,
पता ही नहीं चला.....-
घड़ी की टिक-टिक और
दिल की धक -धक का शोर
इस कदर बैचेन कर जाता है मुझे,
मानों कोई दर्द भरा किस्सा पुराने ज़ख्मों
को फिर से हरा कर जाता हैं।।।।-
खुद को लड़खड़ाने से
बचा लिया,
क्यूंकि पता है मुझे संभालने के
लिए कोई नहीं आयेगा।।।।-