बस स्टैंड से घर तक की दूरी,करीब 15 मिनट की है. स्टैंड तक तो रास्ता पक्का है, पर उसके बाद थोड़ी कच्ची मिट्टी वाली सड़क शुरु हो जाती है. बरसात आज पूरा दिन हुई थी, इसीलिए सड़क पर हर ओर पानी भरा हुआ था बस उसके किनारे पर मिट्टी थोड़ी ऊंची थी, इसीलिए चलने में आसानी हो रही थी. मैं बस से उतरा और घर की ओर चल पड़ा. ऐसा रोज होता था, पर आज कुछ अलग हुआ. एक लड़की बस स्टैंड से मेरा पीछा कर रही थी. ठीक मेरे पीछे चल रही थी. दीवानगी की हद ये कि मैं जहाँ कदम रखता, वो वहीं कदम रखती. रात के आठ बजे, उस सड़क पर मैं, वो लड़की, खूब सारा पानी, और ज़िंगुर की तेज आवाज ही मौजूद थी. मुझे थोड़ा थोड़ा डर भी लग रहा था, पर फिर मैंने रोड की साइड बदल ली. उसने भी बदल ली. मैं फिर दूसरी ओर चला गया, वो भी मेरे पीछे पीछे उस ओर आ गई. फिर सांप की तरह ऐसे ही बाएं दाएँ घूमने के बाद मैं रुक गया. वो भी रुक गई. अबतक मेरा डर रफू चक्कर हो चुका था, मैं इसका लुत्फ उठा रहा था.
तभी अचानक मैं फिसल के एक गढ्ढे में गिरा..."भड़ाम"..!
उसने रस्ता बदल लिया...! किसी और के नक्शे कदमों पर चलने लगी...!
मतलबी कहीं की...!
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