इन धुएं को कैद कर लो बादल बनने जा रहे है .
वो बेवफ़ा आशिक़ अब वफा करने जा रहे हैं ।
रौशनाई की राह में रुकावट आंधियां तो हैं
अब चराग भी तूफानों को सहने जा रहे हैं ।
जरा गम देखो सहरा के साथ कोई रहता नही
मिटाने फिराक उनका हम वहीं रहने जा रहे हैं ।
क़िस्मत ने हमे विरासत में जैसे गम ही तो दिया हैं
हमसे पूछे जनाब कैसे जिंदगी को सहते जा रहे है ।
उनके तसव्वुर में खोए हैं कुछ इस कदर हम
चक्कर में उनके नई कहानी बुनने जा रहें हैं ।
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