Kabhi kabhi lagta hai
meri kismat khuda
ki syahi se nahi
Balki tumhare
rang se rangi
ho hmari
taqdeer
ki lakire.
Jo hum se
jyada tumhe
pehchanti hai...-
हर मुद्दा वाक़िफ नहीं हुआ करता
हर मुसाफिर काफ़िर नहीं हुआ करता
कहने को तो लोग बहुत कुछ कहते हैं
मगर हर शायर आशिक़ नहीं हुआ करता...
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
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'मुझ में जो में कही घूम सा बैठा हूं
बेवजह यूं ही खुद से रूठा सा रहता हूं |
खामोशी से भी कोई मेरी वाकिफ नहीं लगता
वरना क्यू में सबसे दूर सा रहता हूं |-
ए नसीब लिखने वाले मालिक ,
ज़रा मेरी भी मुराद अदा करदे ,
लिख दे लकीरा विच , ज्यादा कुछ न ,
बस केदारनाथ आने के रास्ते .. ,
भेज दे पैगाम फरिश्तों से ,
कह दे तू जन्नत का पैगाम आया है ,
अब देर न करी मौला , वाकिफ
तुझे देखने के लिए पल पल मरा है ... ।-
भूल में है वो शख्श
जो मेरे करीबियों के पागलपन से वाकिफ है..
लेकिन मेरे दूरियों के जुनून से वो अनभिज्ञ है..
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बेशक! कविता बदल नहीं सकती दुनिया, लेकिन
दुनिया को लोगों के दर्द से वाकिफ करवाती हैं।-
अब बदला जो मैंने खुद को,तो हैरान ना होना..
वजह मेरे बदलाव के,
से वाकिफ़ हो तुम भी ....
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जमाने मे जमने की
जोर है क्यों
वाकिफ़ है जिंदगी के
असलियत से
हर जिस्म मे घुटता
शोर है क्यों।-
यह कायनात के गम भी , तुझे भुला ना सके ,
कदम भटक के भी , मंज़िल से दूर जा न सके ,
मैं आसमां का टूटा हुआ सितारा तो नहीं वाकिफ ,
की टूट जाए तो , अपनी जगह फिर आ न सके .. !-
Itne bade bhi nhi ho jaana hai ,
Ke sab choote lage aur ,
Itne choote bhi nhi rah jaana hai ,
Ke sab bade ho jaaye...-