Anu   (अनुराग)
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Jammu and Kashmir
Joined 15 May 2023


Jammu and Kashmir
Joined 15 May 2023
AN HOUR AGO

ये बेखायली के है
अब सवाल काफी नहीं,
क्यूं हम बेखुदी से खुद तक का फांसला नापते है?

हैं खुशहाली के
अब तो खयालात बाकी नहीं,
और दुख जो लिखने बैठु तो फिर हाथ कांपते है |

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16 JUN AT 23:01

ख़तम होगा ये सफ़र भी एक दिन
जुदा सब मुसाफ़िर होंगे |

ना मिलो ना बात करो
ना किसी से मुलाक़ात करो
हमसफ़र बन कर लोग दर्द दे जायेंगे |

बेबजह का मर्ज दे जायेंगे
मुश्किल होता है अलविदा कह पाना भी
और वो मुस्करा के अलविदा कह जायेंगे |

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15 JUN AT 12:05

वो कुछ नहीं जो हासिल नहीं हुआ,
एक तुझे छोड़ के जिंदगी में शामिल सब हुआ,

बहुत गहराई थी तेरी उन काली आँखों के काजल में,
पर शायद उनके काबिल में ना हुआ |

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15 JUN AT 4:44

'मुझ में जो में कही घूम सा बैठा हूं
बेवजह यूं ही खुद से रूठा सा रहता हूं |

खामोशी से भी कोई मेरी वाकिफ नहीं लगता
वरना क्यू में सबसे दूर सा रहता हूं |

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14 JUN AT 0:47

ऐसी अदा वैसी अदा,
जैसी भी हो अदा तेरी हम तो बस फिदा है,
फिदा है तेरे हर उन लफ्जों में जो तू करे बयान
मानो हर दफा कोई शायर महफ़िल में आया हो नया।

तेरी गजलों से जो महके ताजे फूल इश्क के
मेरे मुरझाए से बाग में महफिल जमा दे
महका दे हर एक कोने बगीचे के मानो हमेंशा खिले थे|

और हर दफ़ा जो मिले वो तू नहीं
पर तेरी यादें जो दिल में दफ़न वही सही,
साथ बिताए वो लम्हे तो दावा है इस मरिज की
मानो इसी तरह ज़िंदा हैं हम|

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12 JUN AT 14:10

बिखरे जज्बातों को
कुछ यू एक साथ करता,
जो में तुम्हारे शहर में होता तो तुमसे बात करता |

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12 JUN AT 1:15

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10 JUN AT 22:20

दर्द जो दिया उसने मुझे कैसे कहूं ?

मोहब्बत में उसकी कितना कुछ लिख दिया
उसकी नफ़रतों का शेर मैं कैसे पढ़ू ?

वो आंखे, वो चेहरा,
इन सब पे कितने लफ्ज लिखे
तेरी नफ़रत भरी निगाहें देख कर अब मैं कैसे रहूं ?

तेरी यादो पर कितनी नज़्म निकले इस दिल से
तुझे अब ख्याल भी नी आता मेरे,
ये मैं कैसे सहू ?

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9 JUN AT 21:00

अँधेरे की तरह सूरज में मिट जाउ
होकर मैं खुदा का, खुदा हो जाउ

हसरत काम है मेरी
होने लगी है मेरी पूरी चाहत भी अधूरी

इंतजार मैं
हर शाम दरवाजे पे करूंगा
तेरे होने को मैं खुद को खोकर आऊंगा

डूबा हू सागर गहरा
हर तस्वीर में देख रहा हूँ तेरा चेहरा |

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9 JUN AT 11:49

मुझे किसी और में ढूंढो मत
मैं बस मुझमें जिंदा हूं ,

वो हर बात पे वाह वाह करते हैं
मैं जिन बातों से शर्मिंदा हूं ,

मुझसे है पूछती रूह मेरी
क्यू तू सब में होकर सब में रहता नहीं |

कैसे समझाऊं उसको कि मैं दुनियादारी सेहता नही
बातें वो मेरी इनके सुनने के जो कान नहीं है
सबको देखता सुनता हूं,
मैं अपनी सबसे कहता नहीं

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