अज़ीब शय है ज़िन्दगी,
सांस लो तो चलती है, और
हर सांस पर कम हो जाती है।
अज़ीब शय है ज़िन्दगी।।
बनाते हैं दोस्त ता-ज़िन्दगी के लिये,
और ता-ज़िन्दगी तनहा बिताते हैं।
अज़ीब शय है ज़िन्दगी।।
कभी तो नींद है गायब, और
कभी थक कर भी नींद नहीं आती।
अज़ीब शय है ज़िन्दगी।।
वही दरख़्त छाँव देता है, और
उसी की फांस चुभ जाती है।
अज़ीब शय है ज़िन्दगी।।
ख़ैर जो भी है, अपनी है ये ज़िंदगी!
-