यूँ जो डरा-सहमा खड़ा है तू मुसीबतों के सामने,
बड़े फ़ख्र से चुनकर दिया था तेरा नाम ऊपर वाले ने!-
आसमान वाला जज जब
अपना फैसला सुना देता हैं
तो फिर जमीन वाला बकालत
भी कुछ काम नहीं आता हैं...
♥️🖤♥️-
चाहा तो हमने भी उसको अपनी जान से ज्यादा था
पर जमाने को कहाँ मंजूर था !
कहाँ पूरी हुईं हमारी मोहब्बत जमाने कैसे सामने
शायद ऊपर वाले की क़िताब मे भी साथ यही तक था !!-
Sare Dard Mujhe Hi Saup Diye
Upar Wale Ko Kitna Bharosa tha Mujh Pe...
❤️❤️❤️-
क्या कहना ऊपर वाले का,
उसने तो मुझपे करम बर्षाया है |
खुद तो ऊपर बैठा है,
मुझे नीचे काम पे लगाया है !-
उससे क्यूं मांगू मै कुछ, क्यूं करूं मै अरदास या फिर दुआ,
जिसे सब है मालूम चाहिए किसको, कब, क्या और कितना।-
पूछा ऊपर वाले से मैंने कि
मेरी मोहब्बत अधूरी क्यों लिखी,
वो भी कहकर रो पड़ा
मुझे भी राधा कहां मिली.
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हर लफ्ज़ का हिसाब
लगाए बैठा है खुदा,
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और तू इस भूल में है कि
किसी ने कुछ देखा ही नहीं.
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सब छोड़ जाते है किसी ना किसी मोड़ पर,
पर एक ऊपर वाला ही है...
जो किसी भी हाल में छोड़ कर नहीं जाता।-