गई रुतों में तो शामो-सहर न थे ऐसे
कि हम उदास बहुत थे मगर न थे ऐसे-
उदास कर दिया तूने तो कुछ ज़ियादा ही
कि तू भी मेरी तरह अब उदास रहता है-
तेरी यादों में थोड़े बहुत उदास रहते है.
मेरे कमरे में खाली दों गिलास रहते है.
वक़्त किस्मत से फीके रंग पास रहते है .
मुफलिसी में कहां महंगे लिबास रहते है.
बुरे वक़्त में सब साये कहां खास रहते है.
साहिल के पास कहां खडे आवास रहते है.
उम्मीदों का कतरा कतरा बहता देखा मैंने.
वफा इश्क में सदा गम के विलास रहते है.
आवास -मकान
विलास - हावभाव
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تنہا ہوں اِس لیے بھی کہ چاہے گا کون یہ!
مجھ سا اداس شخص ہو اُس کے نصیب میں!!
Tanha hu is liye bhi k chahy ga kon ye!
Mjh sa udas shaks ho us k naseeb m!!-
आज क्यों उदास हूं समझ नहीं पा रहा हूं
यूं टूटकर बिखर जाना नहीं था मेरे नसीब में
कहने को कुछ नहीं बचा मेरे पास
ये तन्हाई ये ख़ामोशी जाने क्यूं चुभ रही है मुझे-
मैं तनहा और अकेला ही ठीक था
तुम्हे क्या ज़रूरत थी झूठा सहारा और कुछ पल की खुशियां देने की-
پہلے آ جاتی تھی قابُو میں اُداسی پر اب!
ایسی وحشت ہے کہ لُوں سانس تو دِل دُکھتا ہے!!
Phly aa jati the kabu m udasi par ab!
Esi wehshat ha k lu sans to dil dukhta h!!-
ये दुख ये उदासी बड़ी महंगी पड़ी दोस्त....
कोई काम क्या किसी की पहचान हो जाता है ll-
बंद आंखें मेरी उसको ख्वाबों में आना था
आँखें जो खुली तो सामने यादों का नजराना था
कभी रूह में शामिल होने का उसका वादा था
आज वो क्या मेरे साथ तो उसका साया ना था
बेपनाह मोहब्बत की जिनसे उम्मीद लगाए बैठा था
तन्हाइयों की उनसे ये सौगातें मिलेंगी बताया ना था
एक मैने ही खोल दी दिल की किताब उसके सामने
उसने तो कभी हाल-ए-दिल सुनाया ना था
वो फिरते रहे दिल में ना जाने कितने राज लिये
हमने तो कभी उनसे जज्बातों को छुपाया ना था
जाने क्यों हम बेवजह खुश हुआ करते थे
उसने तो हमे किसी भी खुशी में बुलाया ना था
चलते फिरते बेहक रहे थे कदम मेरे
जाम आँखों से तो कभी उसने पिलाया ना था
मैने अपनी आंखों में क़ैद किया था उस
उसने वो ख़्वाब कभी आँखों में सजाया ना था
ना दिल को खबर है अब उसकी
शिकवा क्या उससे दिल तो मैने ही उससे लगाया था-