सब
सब के नसीब का नही होता है।-
जिन्होंने उड़ाए थे फिरंगियों के होश,
वैसे तो सभी क्रांतिकारियों में काफी था जोश।
पर इन सभी से बहुत अलग थे हमारे
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस।।-
उसकी यादों के सुन्दर बसेरे में था मैं,
दिल जलाकर उजाला किया, अन्धेरे में था मैं
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निशानी प्यार की तूने जो पुलिये पर बनाई थी,
बहुत बारिश हुई तब से, निशां वो धुल गया होगा!
जो जलता छोड़ आया था,चराग मैं उस हवेली पे,
कहां तबसे गया कोई, वो अब तक बुझ गया होगा!
तेरी फितरत पे मैं रकीब उंगली उठाऊं तो कैसे,
तूने पत्थर नहीं फेंका,मेरा सर ही दर्मियां में आ गया होगा!
चंद दिन लिखना बन्द क्या किया मैंने...
लोग कहने लगे हैं " शिव " मर गया होगा !-
हम हर वक्त आपके साथ होंगे
जब भी आप बुलाओ आपके हाथों में हमारे हाथ होंगे
पर ऐसा कभी होता नहीं
अगर होता तो दुख के समय कभी कोई व्यक्ति अकेला रोता नहीं।।-
चलो आज ये वादा करते हैं,,,,
खुल के जीने का इरादा करते हैं।
जैसे पतझड़ में कभी फूल नहीं खिलता है,,,,
वैसे ही मनुष्य जीवन हर किसी को नहीं मिलता है।
सभी अपने हैं यहां ये बात तुम जान लो,,,,
अब अपनी अलग एक पहचान बनानी है यह मन में ठान लो।
अभी जो है हमारे पास उसी में हमें खुश रहना है,,,,
फिर तो एक दिन राख बन के नदियों में ही बहना है।
ये ज़ालिम जमाना है,,,
और यहां हमें अपना नाम कमाना है।
“मिट जाने से पहले"।।
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यूँ ही कुछ भी पूछ लो तुम,तुम्हारे hii से डरता हूँ
बिन बताए ही चली जाया करो तुम,तुम्हारे bye से डरता हूँ,
तुम मुझको पसन्द हो बहुत, बेवजह ही तुम मुझको अच्छी लगती हो,
तुम्हें इसका एहसास नहीं होने देता,तुम्हारे why से डरता हूँ
तुम अक्सर मुझसे कहती हो,बात करनी हो text कर लिया करो
मैं text नहीं करता, कारण है,late reply से डरता हूँ,
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सुनो जरा खामोशी से, खामोशियों में अल्फाज गहरे है
कुछ हर्फ पढें हो शायद , हम आज भी उन्ही में ठहरे है
यूं गुनाहों का सिलसिला तो मजबूरी में चलता है
मां से पूछना, हर जालिम उसके लिए मासूम ठहरे है
मैंने देखा है लोगो को खुद में खुद से ही घुटते हुए
माफ करने वाले नेक दिल, सभी के हसीं चेहरे है
क्यूं रखना किसी के लिए खुद के दिल में नफरत
तुम शुरुआत तो करो बस इसी बात पर पहरे है
मुहब्बत का सिलसिला सिर्फ महबूब तक ही क्यूं,
हम तो मां वाप की मुहब्बत के खातिर जी रहे है-
शायर नहीं हूं मैं मुझे शायरी नहीं आती है
जो बातें मैं किसी से कह नहीं पाती हूं
उसे डायरी मैं लिखते जाती हूं
ज़िन्दगी बेहाल है
कोई हमसे भी पूछो हमारा क्या हाल है।।
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जा कर देखो तुम किसान कितना दर्द सहते हैं
वर्षा होने पर फसल बढ़ने की आशा रहती है
ना होने पर भूखे सोने कि निराशा रहती है
आशिक़ कहते हैं जम कर बरसो
पर किसान कहते हैं जरा थम कर बरसो
आशिकों का क्या है उन्हें तो बस रोमांचित होना है
पर बादल तुम उनकी सुनो
जिन्हें अपने फसलों को बोना है।
आशिकों की सुने या किसानों की
ये बादल भी बेचारे उलझन में रहते हैं
इसलिए ये बादल हमसे कहते हैं
जा कर देखो तुम किसान कितना दर्द सहते हैं।।-