वादा-ए-मोहब्बत़, निशानी-ए-वफा देता है।
कोई मिटाकर कहता है, कोई कहकर मिटा देता है।
वो पूछते हैं 'क्या देगी मोहब्बत..?
मालूम करो, दिल भी क्या देता है।
शिकवा करुं या शुक्र, समझ आता नहीं।
जो दर्द देता है, वो ही दवा देता है।
आज कहा उसने 'उसे याद मैं आया हूँ।
सच है, जो याद रखता है-भुला देता है।
आशिकी, अवारगी, या दिवानापन कहो। की वो,
जिससे कहना है सब कुछ, उससे छुपा लेता है।।
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