Suhas Kamble SK   (सुहास कांबळे | suhask247)
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सर्वस्व @Niyati S K. ❣️
Joined 7 July 2020


सर्वस्व @Niyati S K. ❣️
Joined 7 July 2020
30 JUN AT 10:34

बताना और जताना।

तुम पुकार देकर मुझे आजमाना,
ले आऊं या छोड़ दूं सारा जमाना?

एक पल दीदार कब होगा बतलाना,
आप मेरा दिल आते वक्त संग लाना।

तेरी पलकों लबों में बिखरा मैं जाना,
धड़कन हो तुम, बिन तेरे मैं अंजाना।

यह सांस आपके संग रहने का बहाना,
आप वजूद हो मेरे हम आपकी अहाना।

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5 JUN AT 3:23

घर जल जाते हैं यहां, दो पल के बाद,
माशूक कहता है, कुछ होने नहीं दूंगा।
आँसू में ओंझल हुई आशिक दिन-रात,
वह फिर से कहेंगे- मैं सब सहीं करूंगा।
— Niyati SK

कुछ आग को मैंने भी, यहां गले से लगाया,
वजूद लेकर आया था, तुम्हें रूह मेरी देकर।
बह मैं सकता नहीं, कहना तुमने सिखाया,
बस तेरी पुकार की देर, जिएंगे संग रहकर।

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22 MAY AT 3:19

मना ना, मनाना।

इन खताओं के ढ़ेर से एक गलती निकाल लेना,
भूल हुई भुला ही क्यों, ये बताने का मौका देना।

हम टूटे इससे पहले रूठे बिना तुम हमे बुनना,
कुछ लम्हात गुस्ताखी भरे कई जुर्म भी सुनना।

वह जो तुम्हें तुमसे मांगने की, मेरी जुर्रत है ना,
ज़रूरत तेरी ओढ़ के मैने जुनून-ए-इश्क पहना।

मुहब्बत करनें से ज्यादा ज़रूरी है, उनसे कहना-
आप दुनिया हो मेरी, भूलिएगा मत, संग रहना।

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17 MAY AT 16:01

नफ़रत में डुबाया मुझे नशे और गम ने,
एक दिन वह मेरी बन उम्मीद आते है।
कुछ इस कदर उनसे मुहब्बत की हमने,
ज़हर की दुकान से दवा ख़रीद लाते है।

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15 MAY AT 3:18

एक रात मुलाकात।

हसरतों का सिलसिला होने लगे तुम,
हरकतों में आप शामिल हम हुए गुम।

इकरार को दे करार एक नज़र मिला,
मैं तेरी प्यास हूं, दीदार-ए-जाम पीला।

दूर होकर पास रहें- मेरे सुहास गुमसुम,
चूर थी मैं नींद संग सपने को लिया चूम।

नियति देखो याद करो रात-ए-सिलसिला।
ख़्वाब नहीं एक-जिस्म थे फिर दिल मिला।

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23 APR AT 3:01

वक्त हकीकत।

हर बात याद में बाकी हो तुम,
था सब हैं मगर, मैं रहता गुम।

आज नहीं यह बनी मेरी बोली,
यादाश्त की सारी परते खोली।

तेरे आने से पहले भी ढूंढा तुझे,
मिल जाने पे तेरे, मैं मिला मुझे।

तुम मैं हम होकर, गुम हो जाएंगे,
बीते से जीते कल में मिल पाएंगे।

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17 APR AT 1:59

राजी और नाराजी।

दोजख मेरे अंदर समाया था कभी,
जन्नत बने तुम, मिटे पाप मेरे सभी।

खामोशी याद और गुस्सा फरियाद,
आपसे ही आबाद आप संग आज़ाद।

रूठना नहीं जान सीखा हूं जीना अभी,
तुम ही थी जिंदगानी आज हो कल भी।

जिंदगी मैं तो, आप निभाना सीखो साथ,
सिर्फ कहने से ना कटे है दिन ना हो रात।

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14 APR AT 3:17

एक दूरी अधूरी।

खुद में था लापता, फिर मुझे तेरा पता मिला,
मैं औंधा सा था, इश्क़ पौधा बन, फ़ूल खिला।

मेरी जुल्फों में जो उस खुश्बू को आपने सजाया,
माँग में सिन्दूर जैसा, सुरूर अंदर मेरे रिझाया।

इतना नहीं मालूम हां तुझमें मेरा कुछ रह गया,
पुराना हो तो याद आए हर किस्सा होता है नया।

साथ गुजारी रातें कई, हमारे संग सोया उजाला,
मुलाकातें वारदातें संगम मिलन का सिलसिला।

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9 APR AT 2:39

एक घर अंदर।

तुम नहीं हो साथ, ना गुजरे रात,
दिन भी ना बने, ना मन-ए-बात।

आपके संग ही मेरा मन रंग बन रहे,
ओंठो से कुछ कहें, कुछ आँखें यह बहे।

तड़प पर तरस खाकर समझ जज़्बात,
बता सनम कब तलक होगी मुलाकात?

जुल्फों लबों सीने में अंदर आप समाए है,
सोते जागते रोते रास्ते, घर दिल बनाए है।

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27 MAR AT 1:47

एक छाव लगाव।

मैं बेनाम समंदर अकेला पहराव,
तुम मीठी झील सा कोई ठहराव।

मायने जिन्दगी के आप होने लगे,
ये सांसें महसूस हुई जब संग जगे।

तुम मेरे साथ जैसे धूप में हो छाव,
बाहों में हो बाहें, बढ़ता रहे लगाव।

उफ़❣️ आपकी बाते याद दिलाए रातें-
जो हम गुजारे और होती हैं मुलाकाते।

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