ज़िंदगी का ख़तम सफ़र सुन लो
मौत की मेरे अब ख़बर सुन लो
मुझको तेरी वफ़ा ने मार दिया
ज़हर का है नहीं असर सुन लो
वैसे तो तुम बात भी नहीं सुनते
जाते जाते मेरी मगर सुन लो
साथ देना हमारा तुम हरदम
तुम ही हो मेरे हमसफ़र सुन लो
जाते जाते है ये इल्तिज़ा तुमसे
ख़ैर छोड़ो दर-गुज़र सुन लो-
❤️सर्वत्र शिव 🌍📿🔱🕉️🌿
😎लड्डू गोपाल 😘❤️🌹🪷🦚
ॐ तत्पुरुषाय विद... read more
एक दरिया के दो किनारे हम
क्या तुम्हारे तो क्या हमारे हम
तुम जो होते तो ज़ख्म भर जाते
कैसे दिल की भरें दरारे हम
ज़िस्म बैसाखियों का आदी है
ख़ुद के चलते नहीं सहारे हम
मेरी बातें उसे तकल्लुफ़ दें
ज़िंदगी किस तरह गुज़ारे हम
उसका होना मिठास है समझो
और उसमें हैं यार खारे हम
वो हमारा नहीं रहा जानी
उसको कैसे करें इशारे हम
देखकर मुझको मत दुआ मांगो
एक टूटे हुए सितारे हम-
कैसी ख़बर थी मौत की जो काम कर गई
हिम्मत भी अपनी हार के लड़की वो मर गई
जो लोग घर में रहते थे वो खुश बहुत हुए
साज़िश हमारी खूब थी बच्ची वो डर गई
जो शख़्स अपना खास था वो दूर हो गया
हाथों से अपने देख लो मैं क्या ही कर गई
मुश्किल सफ़र में साथ मेरा छोड़ना नहीं
ये बोल कर वो गोद में मेरे बिखर गई
मेरे ख़ुदा तू खूब है तेरी नवाज़िशें
तूने निभाया साथ तो जाकर निखर गई-
जिद भी हमने है आज ये ठानी
न चलेगी तुम्हारी मनमानी
मैं हूँ नाराज़ उन फ़क़ीरों से
जिनको है रंग से परेशानी
पास आओ मैं रंग दूँ गाल तेरे
पास आओ डरो नहीं जानी
अब तो मैं खुद तुम्हे बुलाती हूँ
फिर न कहना कि बात न मानी
आ तुझे लाल रंग रंग दूँ मैं
कल को लाऊँगी रंग मैं धानी-
उड़ते देखा है तुमने तितली को
खुलते पाया है हमने खिड़की को
फूल को फूल कैसे दूँगा मैं
वो भी सादा मिजाज़ लड़की को
क्यों परेशान हो रहे कान्हा
ख़ुद परेशान करते गोपी को
उसका हंसना भी यार जेवर है
शर्म आने लगेगी मोती को
अब दोबारा कहा मिलेगी फिर
उसने बोला कि अबकी नैनी को
मैंने पूछा गले लगाओगी
बोली गुस्से में हां फाँसी को
मैंने बोला कि छोड़ दो गुस्सा
बोली छोडूंगी वो भी जानी को-
मिरा दिल ग़म छुपाना चाहता है
मगर तुमसे बताना चाहता है
मुझे अल्लाह ने बख़्शी है नेमत
वही नेमत ज़माना चाहता है
उठाऊँ हाथ माँगू मैं दुआएँ
ख़बर है क्या दिवाना चाहता है
मुझे कहता है तुमको छोड़ दूँगा
मुझे यूँ आज़माना चाहता है
जिसे हमने सिखाई थी मोहब्बत
वही हमको भुलाना चाहता है
अभी तक लौटकर आया नहीं वो
वो मुझसे दूर जाना चाहता है
जिसे हम दिल कि धड़कन कह रहे थे
वही हमको मिटाना चाहता है
चलो अब चल रहे हैं इस जहाँ से
बदन अपना ठिकाना चाहता है
हथेली काट ली थी जिसकी ख़ातिर
वही अब छोड़ जाना चाहता है-
सिर्फ़ आँखों के इशारे नहीं काफ़ी होंगे,
इश्क़ में इतने ख़सारे नहीं काफ़ी होंगे,
चाँद को है ये ख़बर कुछ तो कमी रहनी है
उनकी ख़ातिर ये सितारे नहीं काफ़ी होंगे,
मानते हैं कि बहुत आग़ है तेरे अंदर
मुझको इतने तो सरारे नहीं काफ़ी होंगे,
चार दिन की ये मोहब्बत तो नहीं है मेरी
और फिर चार हमारे नहीं काफ़ी होंगे,
आँख को शौक़ है देखे वो तुम्हें पहरो तलक
आँख को इतने नज़ारे नहीं काफ़ी होंगे,-
अँधेरे में उजाला बन के मेरे साथ रहते हैं,
है मुझ पे उनका आशीर्वाद भोलेनाथ रहते हैं,-