Arohi Tripathi   (आरोही सोहगौरा)
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Joined 6 September 2019


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Joined 6 September 2019
24 APR AT 23:48

उसे अब याद करके रो रही हूँ
उन्हीं अश्कों से खुद को धो रही हूँ

दुआओं से जिसे हासिल किया था
जिसे पाया था उसको खो रही हूँ

किया है दर्मियां शामिल किसी को
अभी ढाई हूँ पहले दो रही हूँ

करूंगी खुदकुशी इमकान है ये
नहीं होना था जो भी हो रही हूँ

खुशी के इस फसल में है उदासी
न जाने किसके ग़म को बो रही हूँ

कोई मुझको परेशां कैसे करेगा
क़फ़न को ओढ़कर अब सो रही हूँ

लहू भी थम रही है बाजुओं में
कई दिन तक मैं बी-पी लो रही हूँ

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22 APR AT 19:40

पीर मुरशिद के पास मत जाना
अच्छे ज़ाहिद के पास मत जाना

कुछ भी रद्दो - बदल नहीं होगा
सच्चे शाहिद के पास मत जाना

नब्ज़ अंदर से खोखला हो जब
दिल के आबिद के पास मत जाना

तुमको अपना बना के रक्खेगा
एक वाहिद के पास मत जाना

एक सजदे से काम बनता है
आप मस्जिद के पास मत जाना

करके गलती ये मैंने देखा है
अब से मुल्हिद के पास मत जाना

जो सनम की करे इबादत तुम
ऐसे साज़िद के पास मत जाना

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17 APR AT 19:49

ये क्या हुआ की लग रहा है ज़िंदगी कम है
अच्छा समझ में आ गया तेरी खुशी कम है

रोती रही मैं सामने पिघला नहीं वो शख़्स
शायद हमारे कहने में ही आजिज़ी कम है

उम्मीद है अल्लाह से उस पर यकीं भी है
हाँ बात ये भी होगी कुछ बंदगी कम है

जितना लिखी थी पास मेरे सब सुनाया है
दो लफ़्ज़ ही थे इश्क़ सो शायरी कम है

तुम पास थे तो यूँ लगा की तीरगी है ख़त्म
जब से गए हो तुम यहाँ पर रौशनी कम है

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14 APR AT 20:38

कि जलते छोड़ आए हैं मोहब्बत को चिताओं पर
दुआ करते नहीं थे हम भरोसा था दवाओं पर

हमारी रूह निकली जा रही थी याद में जिसके
उसे हम याद ना आए फ़िदा है अप्सराओं पर

ज़मीं पर अब उतर आओ परों को बांध कर बैठो
तुम्हारा कुछ नहीं होता नहीं अब फड़फड़ाओं पर

तकल्लुफ़ हो रही होगी मगर तुम बात तो मानो
खुदा की कर इबादत तू यकीनी देवताओं पर

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12 APR AT 20:43

कितने मशहूर हो रहे हैं आप
जब से यूं दूर हो रहे हैं आप

क्या कयामत करीब आई है
फूँक दें शूर हो रहे हैं आप

मेरी मय्यत के बाद तुमने भी
हीर भरपूर हो रहे हैं आप

आपके बिन है तीरगी हर सू
ज़िंदगी में नूर हो रहे हैं आप

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11 APR AT 20:19

हमको लगता था आप आयेंगे
या हमें ही वहाँ बुलायेंगे

एक खिड़की का फ्रेम खाली है
घर को क्या ख़ाक हम सजायेंगे

ईद के दिन भी तुम नहीं आए
ईद क्या ख़ैर से मनायेंगे,

वादे पे तू खरा नहीं उतरा
वादा हम तो मगर निभायेंगे

तू हमें छोड़ कर चला जाए
छोड़कर दुनिया हम भी जायेंगें

कहती हो मर गए तो मर जाओ
देखना मर के हम दिखायेंगे

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11 APR AT 17:25

गीता में लिखा है निराश मत होना
कमजोर तेरा वक्त लेकिन तू नहीं,

छीटें पड़े हुए हैं बदन पर जरा देख
हां ये भी सच है यार ये लहू नहीं,

करती हूं यही दुआ मुझे तुम मिलो
बाकी खुदा कसम कोई आरजू नहीं,

मुझको मिले हजार मगर फायदा क्या
आए अनगिनत मगर हू-ब-हू नहीं,

ये ईद भी गया है मेरा यार के बगैर
पहले नए लिबास मगर रू-ब-रू नहीं,

ईदी नहीं मिली हमें इस साल ईद में
क्या ख़ाक ईद है जब साथ तू नहीं,

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9 APR AT 3:50

मोहब्बत के किताबों की तिलावत क्यों नहीं करती,
कहा उसने खुदा की तुम इबादत क्यों नहीं करती,

मुझे मिलने वो आया जब महीनों बाद इलाहाबाद
कहा चंचल सी लड़की हो शरारत क्यों नहीं करती,

मेरी उम्मीद जागी थी, सहारा वो बना दिल का
मुझे जब प्यार से बोला मोहब्बत क्यों नहीं करती,

खुदा ने दिल बनाया है इसे महफूज़ रखना तुम
तुम्हें जो दिल दिया उसकी हिफाज़त क्यों नहीं करती,

तुम्हें इस बात का डर है मोहब्बत भूल जाओगी
अमानत में भला अब तुम खयानत क्यों नहीं करती,

मोहब्बत आजमाईश है ये हर दिन आजमाएगी
अगर तुम हक़ पे हो जानम वजाहत क्यों नहीं करती,

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6 APR AT 12:35

जानी वरगा तीर नईं कोई
जानी जेहा हकीर नईं कोई

आदत तो सबसे गंदी अए
जानी चंगा फ़कीर नईं कोई

जानी जिस्मा दा भूखा सी
जानी खातिर हीर नईं कोई

अंदरो वहशी बाहर उम्दा
जानी सच्चा पीर नईं कोई

बिन देखे इबादत करदे सारे
रब दा एत्थे तस्वीर नईं कोई

अच्छा लिखदे पर आला नईं
जानी आ बस, मीर नईं कोई

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1 APR AT 8:40

मैं तुम्हें अब छोड़ भी सकती नहीं हूँ
हाँ ये रिश्ता तोड़ भी सकती नहीं हूँ

जिस वरक पर नाम तेरा लिख दिया है
वो वरक मैं मोड़ भी सकती नहीं हूँ,

कर दिया बरबाद मैंने इश्क़ में यूँ
हाथ तुझसे जोड़ भी सकती नहीं हूँ,

तुमसे वादा कर लिया ज़िंदा रहूँगी
दर्द में सर फोड़ भी सकती नहीं हूँ,

मार डाला ख़ुद को मैंने इस तरह से
ख़ुद को अब झिंझोड़ भी सकती नहीं हूँ

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