कैसी ख़बर थी मौत की जो काम कर गई
हिम्मत भी अपनी हार के लड़की वो मर गई
जो लोग घर में रहते थे वो खुश बहुत हुए
साज़िश हमारी खूब थी बच्ची वो डर गई
जो शख़्स अपना खास था वो दूर हो गया
हाथों से अपने देख लो मैं क्या ही कर गई
मुश्किल सफ़र में साथ मेरा छोड़ना नहीं
ये बोल कर वो गोद में मेरे बिखर गई
मेरे ख़ुदा तू खूब है तेरी नवाज़िशें
तूने निभाया साथ तो जाकर निखर गई-
❤️सर्वत्र शिव 🌍📿🔱🕉️🌿
😎लड्डू गोपाल 😘❤️🌹🪷🦚
ॐ तत्पुरुषाय विद... read more
जिद भी हमने है आज ये ठानी
न चलेगी तुम्हारी मनमानी
मैं हूँ नाराज़ उन फ़क़ीरों से
जिनको है रंग से परेशानी
पास आओ मैं रंग दूँ गाल तेरे
पास आओ डरो नहीं जानी
अब तो मैं खुद तुम्हे बुलाती हूँ
फिर न कहना कि बात न मानी
आ तुझे लाल रंग रंग दूँ मैं
कल को लाऊँगी रंग मैं धानी-
उड़ते देखा है तुमने तितली को
खुलते पाया है हमने खिड़की को
फूल को फूल कैसे दूँगा मैं
वो भी सादा मिजाज़ लड़की को
क्यों परेशान हो रहे कान्हा
ख़ुद परेशान करते गोपी को
उसका हंसना भी यार जेवर है
शर्म आने लगेगी मोती को
अब दोबारा कहा मिलेगी फिर
उसने बोला कि अबकी नैनी को
मैंने पूछा गले लगाओगी
बोली गुस्से में हां फाँसी को
मैंने बोला कि छोड़ दो गुस्सा
बोली छोडूंगी वो भी जानी को-
मिरा दिल ग़म छुपाना चाहता है
मगर तुमसे बताना चाहता है
मुझे अल्लाह ने बख़्शी है नेमत
वही नेमत ज़माना चाहता है
उठाऊँ हाथ माँगू मैं दुआएँ
ख़बर है क्या दिवाना चाहता है
मुझे कहता है तुमको छोड़ दूँगा
मुझे यूँ आज़माना चाहता है
जिसे हमने सिखाई थी मोहब्बत
वही हमको भुलाना चाहता है
अभी तक लौटकर आया नहीं वो
वो मुझसे दूर जाना चाहता है
जिसे हम दिल कि धड़कन कह रहे थे
वही हमको मिटाना चाहता है
चलो अब चल रहे हैं इस जहाँ से
बदन अपना ठिकाना चाहता है
हथेली काट ली थी जिसकी ख़ातिर
वही अब छोड़ जाना चाहता है-
सिर्फ़ आँखों के इशारे नहीं काफ़ी होंगे,
इश्क़ में इतने ख़सारे नहीं काफ़ी होंगे,
चाँद को है ये ख़बर कुछ तो कमी रहनी है
उनकी ख़ातिर ये सितारे नहीं काफ़ी होंगे,
मानते हैं कि बहुत आग़ है तेरे अंदर
मुझको इतने तो सरारे नहीं काफ़ी होंगे,
चार दिन की ये मोहब्बत तो नहीं है मेरी
और फिर चार हमारे नहीं काफ़ी होंगे,
आँख को शौक़ है देखे वो तुम्हें पहरो तलक
आँख को इतने नज़ारे नहीं काफ़ी होंगे,-
अँधेरे में उजाला बन के मेरे साथ रहते हैं,
है मुझ पे उनका आशीर्वाद भोलेनाथ रहते हैं,-
हर घड़ी इंतिज़ार करती हूँ
प्यार जो बे-शुमार करती हूँ
दूर हूँ मानती हूँ मैं तुमसे
अब भी तुमसे ही प्यार करती हूँ
मुझको चाहत नहीं किसी की अब
तुमको आख़िर क़रार करती हूँ
तुमसे जब भी मिलूंगी मैं आकर
सारा कुछ तार-तार करती हूँ
तुम मिलो ठीक फिर से वैसे अब
जो कमी है वो आर पार करती हूँ
आ लबों को तू चूम ले फिर से
ज़िस्म तुझ पर निसार करती हूँ-
उफ्फ़ इतना हसीन चेहरा,
येह तेरा महजबीन चेहरा
तुझे पाने क़ी चाय सी लत,
हाय तुम्हारा कैफीन चेहरा
खुदा का कर शुक्रिया जानी
तेरा है आईना तरीन चेहरा
तेरी यादें और सर्द दिसम्बर,
बनाया मुझे गमगीन चेहरा
सर पे हया की ओढ़नी और,
सुर्ख गुल सा शालीन चेहरा-