जिसका हाल वही जानता है ये दिल भी कहाँ तसल्लियों से कहाँ मानता है? किसी के बिना जीना कौन जानता है ये दिल भी कहाँ तसल्लियों से कहाँ मानता है? किसी के ख्यालों के गीत भी गुनगुनाता है ये दिल भी कहाँ तसल्लियों से कहाँ मानता है? दुनिया की लाखों चोट खाता है ये दिल भी कहाँ तसल्लियों से कहाँ मानता है? हर किसी के टूटे भी टूट जाता है ये दिल भी कहाँ तसल्लियों से कहाँ मानता है? दिल के हर टूटे टुकड़े पर कैसे एक ही नाम दिखाता है? ये दिल भी कहाँ तसल्लियों से मानता है? टूट कर बिखर कर जो हमेशा मुस्कुराना जानता है? ये दिल ही तो है.... जो कहाँ तसल्लियों से मानता है?