Pranshi Singh   (Pranshi प्राँशी)
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Joined 1 September 2018


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21 SEP 2022 AT 19:00

संविधान के मूल्यों को बचाना, है हमारा कर्तव्य
शहीदों के मान को बढ़ाना, है हमारा गंतव्य



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12 MAR 2021 AT 11:19

Guftgu- My God! Why you guys don't marry at an appropriate age- 27,28 lastly? Why you wait till 30 to marry a woman of 26-28 years of age ?

(caption)




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6 MAR 2021 AT 18:51

होली का दिन था। गुफ़्तगू के घर में सुबह से ही पकवानों की खुशबू आ रही थी। घर से अपने पुराने कपड़े पहन, वह बाहर निकली थी। गुफ़्तगू को होली , पानी और पक्के रंग से ही खेलना पसंद था। इसलिए उसने सारे शरीर पे कड़वा तेल भी लगाया था। अपनी सहेली को रंगों से सराबोर करने, वह उसके घर जा रही थी।

पर किस्मत आज मेहरबान थी। रास्ते में उसे गाड़ी से ज़िक्र जो मिल गया था। ज़िक्र ने गाड़ी रोकी और गुफ़्तगू से "hi " किया। अचानक से रोड पे, होली के दिन किसी लड़के की आवाज़ सुन, गुफ़्तगू को लगा जैसे कोई मनचला उसे छेड़ रहा हो। गाली देने ही वाली थी कि गुफ़्तगू की नज़र ज़िक्र की नज़र से जा मिली। लगभग दो साल बाद उसे देख के वह सकपका सी गई थी। मन में क्विंटल भर गुस्सा किसी चिड़िया की भाँति उड़ के दूसरी डाल पे बैठ गया। और मन में उमंगें किसी गिद्द (eagle /vulture) के जैसे आकाश में गोते लगाने लगी थी।

गुफ़्तगू के मन का बाँध ज़िक्र की आवाज़ से टूटा-" Happy Holi"। गुफ़्तगू ने भी मौका न गँवाते हुए अपने गुलाल से एक चुटकी रंग ज़िक्र के दोनों गालों पे लगाया, बोली-"same to you"।उस गुलाबी रंग में गुस्से का लाल रंग दब गया था और वह चिड़िया गिद्द से डर कहीं दूर चली गई थी। आसमान ने भी प्यार की गुलाबी चादर ओढ़ ली थी। इस छोटी सी मुलाकात ने गुफ़्तगू का दिन बना दिया था और सहेलियों को उसे छेड़ने का एक सुहाना अवसर भी प्रदान किया।

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15 FEB 2021 AT 18:21

School days are gone
Why reminisce so long ?
Not be a bud forgotten to bloom
Infant not always in womb .

We lingering to a branch
Like sparrow protecting her ranch .
Forgetting ecstasy of flight
Moaning for the past delight .

Try to Learn with time
Things become sweet and fine .
Normal as usual
Or, even better sometimes.


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14 FEB 2021 AT 18:34

मेरी notebook में कैद है मेरा दिल । उसमें लिखे अल्फ़ाज़ों से बनता है मेरे महबूब का जिस्म । अपनी नर्म उंगलियों से ज्यों ही मैं उसे छेड़ती हूँ , मेरा दिल फिट हो जाता है उसके जिस्म में । फिर होता है प्यार (love making) । और precaution न लेने पर नई कविताएँ भी पैदा हो जाती हैं ।

पर, रूह से रूह की गुफ़्तगू बाकी रह जाती है । दिया जो नहीं है उसने मुझे अपना दिल। ।


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24 NOV 2020 AT 12:27

गालियों से जनाब उर्दू तक चले आए
इश्क़ में खुद को बेगाना कर आए


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18 NOV 2020 AT 0:05

Poetries take time
Proses are mine.

Whimsical are poetries ,
Need to balance metrics,
Syllables in line,
It should also rhyme.

Proses are cool,
Satisfying your soul,
Let your heart out with ease,
Stick to others like grease.

Poetries, like festivities,
cherished for specialities.
Proses for daily life
Like you lovely-hate your wife.

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6 NOV 2020 AT 18:14

आँखें

उसकी आँखें, भीड़ में जो कहीं छुपी हुईं थीं, एकटक मुझे ही ढूँढ रहीं थीं । पर नजरें मिलने पे, मानो सहम सी गयीं थीं । संकोच कर रही थीं , उस भीड़ से घबराते हुए , अपने अंदर उठते उफान को छुपा रहीं थीं। जैसे कोई छोटा बच्चा, मेहमान के घर जाने पर मिठाइयों को बड़ी आस लगाये देखता है । किंतु वही मिष्ठान उसे पेश करने पर, दूसरों के सामने अपनी छवि की लाज बचाने हेतु ,सकुचा भी जाता है ।

थोड़ा सा मुस्कराते हुए, शर्माते हुए, फिर वो पलकें उठीं थीं । मन के बाँध को तोड़ते हुए, वो लौट मेरे पास ही आ रहीं थीं। जैसे बच्चा तर्क वितर्क में समय नष्ट ना करते हुए, आग्रह पे मिठाई उठा ही लेता है। उसकी नजरें भी मेरी नज़रों का सलाम लेना चाहतीं थीं , या बस चुपचाप मुझे निहारना । मानो जैसे कुछ सवाल कर रहीं हों, या जवाब की आशा । सहसा मिलने के वादे चाह रहीं हों, या साथ निभाने के इरादे ।

हाँ.....उसकी आँखें, उसके जज़्बात मुझे बता रहीं थीं और मेरी आँखों से बतिया रहीं थीं ।

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2 NOV 2020 AT 11:06

दर्द के सिलसिले भी आम हो गए
हम उनके तकरार हो गए ।
कहते थे जो चाहूंगा तुम्हें हमेशा
उनके झूठ सर-ए-बाज़ार हो गए ।
मोहब्बत भी उनके दिल में खूब थी
हम बस उसके हिस्सेदार हो गए ।
शिकवे, ग़िले ,मनाना, रूठना
अब बस इसी के हक़दार हो गए ।
प्यार की डोर थी वो कच्ची
तोड़ने में हम ज़िम्मेदार हो गए ।
प्राँशी, इश्क़ के मामलात में
हम भी अब होशियार हो गए ।

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20 JUN 2020 AT 13:08

Papa is a magician ,
With a wand of stick ,
He makes things possible .


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