Cravings and longings will be occurring in your lives intermittently, but surely will be ephemeral in nature if you make yourselves aware of the eternal saga of life by always focusing on the positive vibes, thrashing behind the negative ones.
Caress yourself more frequently, Dream big, make it happen,
and Love yourself a bit more.-
"Saurabh" hoon main khud ke hi raakh ka. ◆
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Thodi si beqarari hai sanam,
Zara sa hai qaraar bhi.
Zara se hosh mein bhi hain sanam,
Thoda sa hai khumaar bhi.-
भर दिया है सारे पन्नो को,
तेरी तारीफों से मुसलसल,
इक मुद्दत से मैंने ख़ुद की ही,
खामियों को बेहिसाब लिखा।
अब तो कुछ भी होश नहीं,
कि और क्या-क्या लिखा,
शायद खुश्बू को तेरी इत्र और,
आँखों को तेरी शराब लिखा।
फकत बेकरारी का ही तो आलम है,
और तो कुछ भी नहीं,
मैंने आज भी अपनी गज़लों में,
ख़ुद को खार और तुझको गुलाब लिखा।
इक अरसा हुआ कि,
राख कर दिया है खुद की सारी हसरतों को,
कि तमन्नाओं की फ़ेहरिस्त में,
हर पल तेरा ही अधूरा ख़्वाब लिखा।-
बेचैनियो की शाम मिली,
जद्दोजहद भरे सारे लम्हें,
सारी ख्वाहिशें अधूरी रह गईं,
पूरा हुआ न कोई अरमान।
नसीब हुआ न आकाश कभी,
पल-पल तरसे धरती के लिए,
सुना था की मिल जाता है,
किसी को जमीन तो किसी को आसमान।-
बुझ सी गई है सफ़र की सारी रौशनी लेकिन,
जल रहें हैं इक मुद्दत से हम दीपक की तरह।
बेबसी के लम्हें तो अब आदतों में शुमार हो गए,
खा रही है मुसलसल मुझे ये ज़िंदगी दीमक की तरह।-
हक़ीक़त का तो ज़िक्र
ही मानो फ़िज़ूल है,
कि अब तो ख़्वाबों में भी
तेरे होते नहीं हैं हम।
दिल पे रहता है पहरा
मुसलसल तन्हाइयों का,
फ़िर भी गलती से कभी
तेरे ख़यालों में खोते नहीं हैं हम।
इक मुद्दत हुई कि गायब है
मुस्कान मेरे होंठों से,
अर्से बीते बेक़रार लम्हों में,
फ़िर भी कभी तुझे रोते नहीं हैं हम।
वो पहली मुलाक़ात की बारिश,
कि नींद नहीं आयी थी रात भर,
ये बात और है कि चैन से
सोते अब भी नहीं हैं हम।-
Every pain that you're witnessing, is just to make you indurate for a brighter and better tomorrow.
And every struggle you're going through, is only to ossify your determination and stiffen your rigidity in order to make you feel extremely blissful in the future.
Every bits and traces of your endeavours during hardships will be amalgamated, and undoubtedly be transformed into exciting and astonishing rewards, at a destined time.-
किसी को मिल गई आसानी से मंजिल,
किसी को मिला हमसफर का जमाल ही।
मैंने ख़्वाब देखे सारी खुली आंखों से,
नींद में घुल के रह गए सिर्फ खयाल ही।
मिल गए औरों को उनके सारे जवाब,
मेरे हिस्से आया हमेशा सवाल ही।
मुबारक हो उनको जिंदगी का ज़जीरा,
मुझे तो पल-पल होना पड़ा हलाल ही।
कू- ब - कू खुशबू गुलाब की तो,
किसी के हिस्से आया रंग - ओ - गुलाल ही,
इक मुद्दत बीता दी तूने इबादत में "सौरभ"
पर तेरे नसीब में आया फकत बवाल ही।
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Toota hua sa ik patta jaise kisi shaakh ka
"Saurabh" hoon main khud ke hi raakh ka.-
न जाने कैसे शब गुजरी, कब से हम सहर में हैं,
फ़िर वही बेकरारी है, हाँ फ़िर तेरे शहर में हैं।
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