🌹🌹🌹🌹🌹 बसन्त ऋतु 🌹🌹🌹🌹🌹
ऋतुओं में एक बसंत लाए, ऋतु - जीवन में बहार।
मचलती कोमल कलियों पर कीट-भँवरों की भरमार।
लहराते रुख रंग बिरंगे प्रसून संग कोयल की कूक,
हरे-भरे लहलहाते पेड़ों की ठंडी हवाएँ करें गिरफ्तार।।
काली कोयल की कूक,कूक में रंग का विरोधाभास,
कौए की कर्कशता, चिड़िया की झलक बनें गमगुस्सार।।
लहरायें फसलें और लहरायें गौरी की चुनर का पल्लू,
यह तुम ही हो, "गुरु" पहचानता है बसन्त तेरे निगार।।
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