QUOTES ON #SOLDIER

#soldier quotes

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27 AUG 2017 AT 1:42

Indian Soldier


मौत को बेहद करीब से चूम के आया ,
मैं आज फिर कब्रिस्तान घूम के आया ।

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5 MAY 2020 AT 11:27

नाकाम कर काम तेरे, में जान तक अपनी लुटाऊगा
कर्जदार हूँ में इस मिट्टी का, कर्ज अदा कर जाउगा
ये मत सोचना की सिलसिला ऐसे ही खत्म हो जाएगा
बदला मेरा लेने को मेरे घर से भी कोई आएगा
आबाद रहेगा वतन मेरा तिरंगा हमेशा लहराएगा
फर्ज अदा करने को अपना फिर एक जवान तू पाएगा।

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4 MAY 2020 AT 13:46

बस एक पन्ने पे ही लिखी थी कहानी और
बाकी सारे पन्ने खाली छोड़ के चले गये।

भाई का दुलार छोड़ा ,घर परिवार छोड़ा ,
बहन की राखी को भी तोड़ के चले गये।

दिखा नहीं प्यार तुम्हें उस बूढ़े बाप का भी
सब से तो जैसे मुह मोड़ के चले गये।

जैसे ही आवाज़ दी माँ भारती नें तुमको तो
छोड़ सगी माँ को तुम दौड़ के के चले गये।।
✍️राधा_राठौर♂

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27 FEB 2018 AT 17:42



















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1 MAR 2019 AT 13:47

क्या लिखूं अल्फाज मैं आपके के गुमान पर
सारा देश खड़ा है आपके सम्मान पर
वक्त की जंजीरे भी रोक ना पाई जिसे
उस देश के तुम वीर हो देश को गुमान है

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15 AUG 2018 AT 10:37

He left his house with a little flag hidden in his shirt's pocket.

When he came back, the flag was still in that pocket.
A blood stained, bullet torn flag.

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16 MAR 2019 AT 13:41

जलते रहता धूप में जो उनका ही तो नाम है
अपनों से ज्यादा देते वो कामों को सम्मान हैं
कहते उनको फौजी हम जिनसे अपनी शान है

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26 JAN 2020 AT 17:44

तिरंगे की शान में वो जवान अब तैय्यार हैं
हर मुश्किलों के सामने वो पहाड़ सा तैनात हैं
जंग का मैदान हो या हो कोई परेशानी यहाँ
जीत उसकी रग में है वो करता है सम्मान सदा

भेद भाव सब छोड़ कर साथ चलना जानते हैं
खुशियों में वो खिल खिलाना गम को भी पहचानते हैं
मना रहे सब गणतंत्र दिवस को भूलते ना बलिदान हैं
याद रखते हैं सभी को जो अब हमारे ना साथ हैं

करते हैं सुरक्षा हमारी चाहते वो खुशहाली हैं
प्राण त्याग देते सदा वो मुल्क की पहरेदारी है
सीखना है तो सीख लो तुम त्याग और बलिदान को
उठ खड़े हो चलो सभी यहां अब तिरंगे के सम्मान को

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17 FEB 2019 AT 12:57

तेरे सितम ढाए गए हैं
फिर कुछ मारे गए हैं
दर्द का सैलाब है आया
अपने कुछ पराए हुए हैं

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14 FEB 2020 AT 12:57

एक ख्वाब संजोये आंखों में छोड़ जाते हैं
बेवजह अपनों को वो अब बेहद सताते हैं

वादे करके अपनों से वो जान लुटाते हैं
देश के लिए ही तो वो सब भूल जाते हैं

वापसी का पता नहीं जब घर छोड़ कर जाते हैं
आएंगे चलकर खुद या तिरंगे के साथ में आते हैं

हर लम्हें को खुशियों से भर वो सबब बना जाते हैं
अपनों के लिए वो सरहदों पर सहादत को गले लगाते हैं

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