rohit patidar   (Roit Patidar)
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Joined 5 June 2019


Joined 5 June 2019
9 JUN 2021 AT 20:38

किसी की उम्मीद को तार-तार कर जाते है
अपने मतलब के साथ लोगो के मतलब बदल जाते हैं।
बातें करते है उनके प्यार की बड़ी-बड़ी,
किसी के घर की इज्ज़त को महफिलों में बदनाम करते जाते हैं।।

Rohit patidar

इन्तेजार का दामन थाम, शाम का कतरा-कतरा बिखर जाता हैं।
यादों की गहराइयों को टटोल कर, मन फिर से उन बातों में उलझ जाता हैं।
जिंदगी की गलतियों, मजबूरियों का वो हिस्सा पन्ने-दर-पन्ने याद आता है।
वो शाम का एक अकेलापल हर शाम रात होने तक मेरे साथ ही बैठ जाता हैं।।

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15 MAY 2021 AT 17:05

एक दिन मेरी मौत पर कुछ लोग रोयेंगे।
कुछ बोल देंगे अच्छाइयाँ मेरी तो कुछ मेरी बुराइयों का रोना रोयेंगे।
क्या खोया है मेरे अपनो ने इसे छोड़कर, मैं क्या-क्या दे गया हूँ इस बात पर बातें बनायेंगे।
मेरे हालतों, जज्बातों को जानें बिना मेरी कमियों की बातों में खोयेंगे।
जब उठाएंगे ये अर्थी मेरी, मातम का दुःख भूल कर मेरा वजन कितना है इन बातों में खोयेंगे।
चिता मेरी शांत भी ना होगी, ये कर्म-काण्ड और नियमों की बातें कर मेरी अस्थियाँ घाट-घाट में डुबोयेंगे।
ये लोग ही तो है जो मेरे जिंदा रहने पर मेरे नहीं हो सके, तो मरने के बाद मेरे क्यों होयेंगे।।

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21 JUN 2020 AT 7:33

रिश्तो की भुल-भुलैया में अटक सा जाता है
चाहते अपनों की पूरी करने में भटक सा जाता है
पाल-पोस कर वजूद देता, हिस्सेदार अपना बनाता है
दर्जा मिला है उसे आकाश का,भला उस पिता को कौन समझ पाता हैं।

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7 JUN 2020 AT 9:36

वफाये थी तो किस्से, शेरो शायरियाँ बन रहे थे
रूख बदला इश्क़ ने बाजी हारी गई तो
बे-वफा लिख उनके इस्तेहार बाजारों में दिख रहे थे।

Roit patidar

जिन्दगी की किताब मे किस्से हजार है
लम्हो में जीना इसे, ये बेहद शानदार है
हर सफर में हमसफर की चाहत भी बेकार है
गलतियों से सीखना, यहाँ सीखाने वालो की भरमार है
कोई हमेशा नही रहेगा ये सब वक्त की दरकार है
महज चार दिन की जिंदगानी है बेटे यहाँ तुझे भी निभाना एक किरदार हैं।

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31 MAY 2020 AT 11:55

मैं देख रहा था उसे, उसका हाथ चल रहा था
लड़खड़ाती हुई कलम से शायद कोई लम्हा बुन रहा था
इच्छाएं मेरी भी मचल रही थी, में जान कर हैरान था
उस वृद्धाश्रम के बूढ़े का लिखा हुआ अंतिम खत भी उसके बेटे के ही नाम था।

Roit patidar

आज कल उनकी यादों का बे-वक्त आना जाना लगा रहता है
कहे कोई उनसे, ये बदनाम आवारों का ठिकाना माना जाता हैं।

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25 MAY 2020 AT 12:23

मुक़म्मल हो दुआएँ तेरी, तू हमेशा आबाद रहे
नूर बरसे खुदा का तुझ पर, मेरी दुआएँ तेरे साथ रहे
हर चीज हासिल हो तुझे, वक्त भी तेरा आगाज करे
मेरी ईद भी पूरी हो, गर सामने से तु भी सलाम करे।


बिंदिया सजाती है, कजरा लगती है मेरी छोटी सी मुस्कान पर
बचती है छुपती है नजरों से लोगों की, मिलने आती है मेरी एक बात पर
लड़ती है झगड़ती है बच्चों सी रहती है, करती है सवाल मेरे हर सवाल पर
नजर उतारती है मन्नतें माँगती है, झुकाती है सर अपना हर मन्दिर, मस्जिद, और मजार पर।

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20 MAY 2020 AT 11:08

लड़की है ना, नासमझ मानी जाती है
प्यार लुटाती है, इसलिए कमजोर आँकी जाती है
परवाह ही नही उसे दुनियाँ के चौराहे कि बातो की,
घर का बड़ा बेटा बन जिम्मेदारियां कंधे पर भी उठाती हैं।
Roit patidar

चलिए कुछ मोहब्बत पर लिख देते है
अपने नही है किस्से, किसी और के कह लेते है
नकाब ओढ़े शतरंज सी चाले चलाई जाती है
जिस्मों की चाहत में इश्क़ की कहानियाँ बनाई जाती हैं।

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16 MAY 2020 AT 10:59

एक बूंद पहले सावन की, कुछ अरमान रोशन कर गई
सरहद पर बैठे पिया की कुछ याद जहन में भर गई
चाहत लिए इन आँखों में, ना जाने कितनी राते निकल गई
पिया मिलान की अभिलाषा में, यह ऋतु भी गुजर गई।

Roit patidar

सोचकर उनको कुछ लफ्ज लिखने बैठे है
अब होश नही हमे अपना मदहोश हुए बैठे हैं।

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10 MAY 2020 AT 11:05

माँग दुआएं हमे आबाद करती है
गम छुपाये चेहरे पर मुस्कान रखती है
पक्षपात से परे कर हर बात हमें सिखलाती है
परवरिश है हम उसकी बस इतनी सी बात पर इतराती है।

Roit patidar

जो लिख सकू तुझे वो लफ्ज कहा से लाऊ
सूरत तेरी देखु माँ और जज्बात बयाँ ना कर पाऊं।

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5 MAY 2020 AT 11:27

नाकाम कर काम तेरे, में जान तक अपनी लुटाऊगा
कर्जदार हूँ में इस मिट्टी का, कर्ज अदा कर जाउगा
ये मत सोचना की सिलसिला ऐसे ही खत्म हो जाएगा
बदला मेरा लेने को मेरे घर से भी कोई आएगा
आबाद रहेगा वतन मेरा तिरंगा हमेशा लहराएगा
फर्ज अदा करने को अपना फिर एक जवान तू पाएगा।

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