तेरी सोहबत में मेरी नमाज़ें कज़ा होने लगी है,
आज़ाद कर के मैं किसी हुज़रे में क़ैद हो जाऊं !!
تیری صحبت میں میری نمازیں قضا ہونے لگی ہے..
آزاد کر کے میں کسی ہجرے میں قید ہو جاؤں !!-
तेरी सोहबत में मेरी नमाज़ें कज़ा होने लगी है,
आज़ाद कर के मैं किसी हुज़रे में कैद हो जाऊं !!
تیری صحبت میں میری نمازیں قضا ہونے لگی ہے..
آزاد کر کے میں کسی ہجرے میں قید ہو جاؤ !!-
सोहबत में जब लहरें मचलती है उसकी,
तो मैं खामोश सी उसके साथ बहती हूँ।
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इश्क़ की हवाओं का मौसम ही बवन्डर हो गया,
दर्द भी इतना बढ़ा दिल के ही अन्दर खो गया।
होता है सोहबत का असर यार हमपे इस कदर,
कतरा था मैं जाके समन्दर में समन्दर हो गया।-
तेरी मोहब्बत में हम इस कदर खो गए। कि तुझे देखते ही हमें शायरी याद आ जाए ।तुझे ना देखूं तो मेरी सांसे रुक जाए। तुझे देखते ही मेरी धड़कने तेज हो जाए.........
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बसर की एक शाम, तेरे संग गुजारूं ,
तुम्हे अपनी क़ुरबत की वफ़ा बता दूं ।।
दे इजाज़त मोहब्बत के शहर को ,
यादों के बिखरे पन्नो की किताब कर दूं।।
मुश्किल से मिलती है सोहबत किसी की,
मिल जा मुझे, जिंदगी तेरे नाम कर दूं ।।
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صاحب تیری صحبت میں دل ڈوب رہا ہے ۔
قائل تیرے محبت کا، دل ٹوٹ رہا ہے ۔-
उनकी सोहबत का भी मुझपे अब असर होने लगा है,
कि मैं अहम और पाखंडी हुज़रो से आज़ाद हो गया हूं ।-
तुम्हे खुश रखना शामिल है मेरी आदत में
न मिले कभी कोई ग़म तुम्हे मेरी सोहबत में
रब से तुझे ही मांगते है दिन रात इबादत में
अफ़सोस दिलचस्पी ही नहीं तुझे मुहब्बत में-