ये चाहत हमारी कभी कम नहीं होगी
जो की थी मुहब्बत खत्म नही होगी_
यादों में ताजा रहेंगी तेरी बातें
हम फिर मिलेंगे उस जहाँ में_
वहाँ फिर कोई दूरी सितम नही होगी!-
मेरा सितमगर मुझको कुछ यूं सताया करता है
जैसे धीवर निर्जल मछली को तड़पाया करता है।-
उनका और कैसा सितम देखता मैं,
उन्होंने तो हमे छोड़ने की बात भी औरो से की थी।।-
मेरे रहबर....मेरे दिलबर
तू मेरे *इश्क़* की *पैमाइश* ना कर
कर चाहे कितने भी *सितम*
मेरे सब्र की *आजमाईश* तो ना कर-
उनके सितम के सरहदों...
के पार अब नहीं निकलना है...
उन्हीं की यादों में चिराग बनकर...
अब हमें ताउम्र जलना है...-
सितम ढाती रहें , कायनात सारी ।
पर राख़ में न ढलेंगे , हम हैं फितूरी ।
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"Sitam to itna hai ki chai n hota
to hum pakka sharaabi hote...!!!"-
फ़िक्र-ए-सितम में आज ऐसे दर-ब-दर हुए ,
ख्वाब-ए-खुशी ही मिट गई , इस कदर हुए !
छोड़िए ये सुर्ख़ आँखें , ये तो कुछ नहीं
बे-मुहाबा दिल जला , ऐसे असर हुए !!
तल्ख मंज़र देख के हमने हवाओं का
इश्क़ चाहत क्या , सभी से बेखबर हुए !
रंज-ओ-ग़म न पूछिए , अब इस फ़साने का ...
बे-सबब दिल पे सितम तो हर पहर हुए !!-