मैंने सीखा नहीं हर रस्म निभाना मुहब्बत का
वफ़ा से शुरू होकर वहीं दफ़न हो जाता हूँ
जो हूँ मैं वही दिखता हूँ तो छुपाऊँ कैसे
अब जो इस बात से नाराज़ है तो मनाऊँ कैसे।-
खुदको खुद से खफ़ा लिख रही हूँ
हाँ बेवफ़ा मैं वफ़ा तेरे नाम लिख रही हूँ-
कोई जैसे चाहे वैसे रंग दे....
वो 'तस्वीर' नही हूँ मैं..!!
कोई जैसे चाहे वैसे बदले.....
वो 'तक़दीर' नही हूँ मैं..!!
अपनी तस्वीर सजाई मैंने है.....
तक़दीर बनाई मैंने है..!!
मुझ पर हक केवल मेरा है.....
कोई 'जागीर' नही हूँ मैं..!!-
मत पूछ जिंदगी क्या हाल है मेरा
अरसों से ढूँढ रही हूँ मेरे अपनों को
मेरे ही अपनों में-
ख्वाब भी तू 👸, ख्वाहिश भी मेरी !
सुकून भी तू , और साजिश भी मेरी 👦 !!
मैं 👦 हूं वो छलकी 💦 पानि की बून्द 💧 !
छु कर गिरि 💦 है जो पैमाने को तेरी 👸 !!-
Mere har ek alfazon me
Sirf uska hi zikr tha,
Aur Uske har ek afsane me
Ek alag hi jung tha.-
कोई अगर पूछे तो हम क्या बताएं
तेरे हाल से मेरा हाल क्या है.
मोहबत की है तो हमने जाना
बजूद तेरा अब सवाल क्या है.
तुमने भी ढूँढा था हमें हो काफिर
जो मिला ही नहीं फिर वो बवाल क्या है.
गर पूछे तुमसे तो तुम ये हो कहना
मोहब्बत के ना काबिल वो सबाल क्या है.
हमने छुपाये जख्म तेरे दिल के अब
तू बता दुआ मे मेरा नाम क्या है.
हमने खोये है अपने दिन के उजाले
अब क्या बताएं की मेरी शाम क्या है-
मोहब्बत और हवस की....
तमीज नहीं हैं...!!
और शहर भरा पड़ा हैं..
हीर-रांझे से ।-
उठा ली कलम तो कुछ खास लिख दूंगा
अपने दिल के सारे एहसास लिख दूंगा
मत बोल अभी कुछ लिखने को
नहीं तो तेरी बेवफाई का इतिहास लिख दूंगा।-