कभी दिन में भी आकर
मेरा भी साथ निभा
तू पर्दो में साथ निभाता
है कभी तो दुनिया के
शुभचिंतक बता।।-
खुश रहिये
मस्त रहिये
अपने शुभचिंतकों के साथ
व्यस्त रहिये-
कुछ लोगों को मैं समझ नहीं आती,
कुछ लोगों को मैं बिल्कुल नही भाती,
फिर मैं ढूंढने लगती हूँ खुद की खामियां,
पर खुद से मुझे वो पहचान में नहीं आती।
शायद हर किसी की सोच का एक दायरा होता है,
जो उन्हें उसके बाहर नही सोचने देता है,
कितने भी बदलाव लाओ खुद में आप,
उनका पैमाना आपको खरा नही उतरने देता है।
तो क्यों परवाह करें ऐसे लोगों की जो आपको,
आप जैसे है....वैसे ही नहीं अपनाते हैं,
आपके हर एक विचार पर बार-बार
फिर वही प्रश्न-चिह्न लगाते है....
वास्तव में फ़िक्र करनी चाहिए उन लोगों की,
जो आपका हर सुख-दुख में साथ निभाते हैं।
आप एक कदम आगे बढ़ाते हो और वो,
दूसरा भी बढ़ाने के लिए उत्साहित किए जाते है।
सिर्फ़ आपके जज़्बात ही नही छूते वो
आपकी रूह में उतरते चले जाते हैं।
सच में वहीँ शुभ-चिंतक सच्चे दोस्त है आपके,
जो आपकी खामियां ना देखकर
आपकी खूबियों से आपको रुबरु कराते हैं..
हर वक़्त ......हर लम्हा......
उनके लिए दुआ माँगते है आप
सज़दे में उनकेे ....सर आपके,
खुद-ब-खुद झुक जाते हैं..... Sushma
Rkumar
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न जाने ये किन लोगों की भीड़ है,
जो रोज़ आवाजें लगाये जा रहे है,
बुला रहे है अपनी और..
इशारों से लगता है, शुभचिंतक है मेरे
किसी नई जिंदगी की राह दिखा रहे है..
मगर मैं आँखे खोल पलक उठाने तक को राज़ी नहीं..
अफ़सोस हक़ीकत में ज़िन्दगी बसर करती है,
मगर मैं ख्वाबों तक को अपनाने में राज़ी नहीं......_-
Mana nahi hu mai in sitaro me,
Mana nai hu mai in chand taro me,
Sambhalte, sambhalte uth khadi hui hu mai,
Magar apne saath chalne walo ko, na to kabhi giraya maine,
Na kabhi girne diya maine.-
मैं मुस्कुरा लेता हूं अपने बुरे दौर में भी
मेरे शुभचिंतक मुझे लापरवाह समझते हैं।
मुझे बनानी है भीड़ से अलग पहचान पर
मेरे शुभचिंतक मुझे लापरवाह समझते हैं।
मैं प्रकृतिवादी हूं,
खिलते हुए फूल मुझे खुश कर सकते हैं
शायद इसीलिए वो मुझे लापरवाह समझते हैं।
मेरे शुभचिंतक मुझे लापरवाह समझते हैं।
मेरे शुभचिंतक मुझे लापरवाह समझते हैं।।
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अब मैं अपने महत्वपूर्ण घायल लोगों से दूर रहता हूँ
क्योंकि अब मैं खुद को चुनता हूं!
मैंने खुश रहने का निर्णय लिया है...
मैं अपनी ताकत हूं और किसी को भी अपनी सीमाओं को भेदने की अनुमति नहीं देता|
अगर तुम मेरे शुभचिंतक हो तो मुझसे दूर रहो...!
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बड़े हो कर हम कुछ सीखें या ना सीखें,
ज़िन्दगी की इस दौड़ भाग में चाय☕ पीना ज़रूर सीख जाते हैं, और इस आदत के साथ ही मिलते हैं हमें हमारे शुभचिंतक सच्चे साथी....
💃🕺🕴️👭👬
♥️♥️♥️-