सच्चे किस्से शराबखाने में सुने,
वो भी हाथ मे जाम लेकर,
झूठे किस्से अदालत में सुने,
वो भी हाथ मे गीता-कुरान लेकर।-
अब तो साकी भी,
नही देता जाम,
तेरे ग़म पर कुछ सुनाने पर "जावेद"
कहता है पुराने हो गए उसके सिक्कें,
कोई नया ग़म लाये यो बात बने....-
Aankhe sharab si nashelli teri..
Mera caption padne wali tu meri ..-
हम तो मुफ़लिसी में ही जिये उम्र भर
जागीर तो पहले ही जवानी में लुट गई
नवाबी जो बची हैं ,आज मयकदें में
फ़क़त यादें हैं कुछ जो पास मेरे रह गईं....-
साकी को गिला है की उसकी बिकती नहीं शराब
और एक तेरी आँखें है की होश में आने नहीं देती-
मज़ा आता नही मुझे , बिना मुसीबत के जीने मैं
जब गम ना हो , तो क्या मज़ा हैं पीने में-
यूँ तलब उससे अरसों बाद फिर दोस्ती हुई...
गहरी न सही पर चंद लम्हों सी हुई...
खुदगर्ज बन गए थे हम जमाने मैं,
पर खुदगर्जी भी कहाँ हमसे दिल से हुई....-
Peete Hain Sharab Hum
Jinhe Bhulane Ke Liye,
Wo Hi Aa Jaate Hain Yaad
Hame Rulane Ke Liye.....-
इस जहाँ से उस जहाँ का फराह हो जाना है
मुझे देखते ही देखते सब की चाह हो जाना है.
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शराब पीना गुनाह है तो नाम ना लो उस ज़ालिम का
गर वो याद आई तो फिर से ये गुनाह हो जाना है.
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गर मोहब्बत है तो उस से इज़हार भी करो तुम
फ़क़त देखने से थोड़ी ना निकाह हो जाना है.
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मुझको हर दम यूँ संभाल के ना रखा करो तुम
मेरा मुक़द्दर है की मुझको तबाह हो जाना है.
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क्या पूछते हो अब मेरी चाह मेरी राह क्या होगी
था जौन जिस राह पर मुझे उसी राह हो जाना है.
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~ निशांत 'फ़ितूरी'-