यूँ आज ग़म में डूबा हुआ हूँ मैं
पता नहीं आज क्यों खुद से रूठा हुआ हूँ मैं
वह मेरा गुरु-ए-शायर पता नहीं क्यों रूठ गया है मुझसे
"मानो आज दीपक की ज्योति का साथ छूट गया।"
वो कहते थे
"बुलाती है मगर जाने का नई
यह मौत है साहब डर जाने का नई
गुरु-ए-शायरी के दीये यूँ हमेशा जलते रहेंगे।
साहब इंदौरी नाम छोड़कर गए हैं अपना
शागिर्दो और प्यारो घबराने का नई।"
"वो कहते थे कि चांद पागल है,
अंधेरे में निकल पड़ता है।
साहब आपकी शायरी में पागल हैं हम
कोई हमें उस वक्त परेशान करे तो
साहब राहत-ए-शायरी में खलल पड़ता है।"
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चलो शागिर्द बन जाते हैं हम इस ज़िंदगी के क्योंकि इससे बहुत कुछ सीखना बाकी है अभी।।
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उसके quotes पढ़ कर हम उसके शागिर्द हो गए ,
हम उसके चाहने वालो की कतार में शामिल हो गए-
Ishq ke shagird to Yaha lakho hai,
Dard ka magar, Adad koi Ustad Nahi..
Bada asan hai muhabbat ki laffazi Karna,
Dard Ka tazkeera BHI unko Yaad Nahi..-
उसकी yaado ke shahgird थे hum
Khud से jyada ज़ोर chlta tha unka hum pr-
बेवफाई की तालीम देकर मुझे ...
मुझसे वफा की उम्मीद करने लगे ।।
वो भले ही गुरु कच्चे रहे ...
हम शागिर्द पक्के होने लगे।।
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ISHQ KE MAQTAB
MEIN WOH SHAGIRD
RAHA HAI HUMARA
EK NA EK DIN NAAM
JARUR ROSHAN
KAREGA HUMARA
MUJHASE NA NIBHA
SAKA MAGAR KISI OR
SE TO FARMAYEGA
BEMISAAL ISHQ HOGA
WO MAGAR HUM JAISA
KADARDAAN NA PAYEGA
💔💔💔💔💔.........-
मौत के शागिर्द हुआ करते थे सनम बेवफ़ा,
सिखाया हमें भी मरना उन्होंने, बेवफाई करके।-
ज़िंदा है पर जान कहाँ है
लोगों में ईमान कहाँ है
मैं तेरा शागिर्द बना हूँ
ए ग़ालिब, दीवान कहाँ है
जो दुनिया समझी है मुझको
वो मेरी पहचान कहाँ है
जितने भी हैं सब अपने हैं
दिल में अब मेहमान कहाँ है
दौलत वाले डर कर जीते
झुग्गी में दरबान कहाँ है
सब इल्ज़ाम तुझे दे दूँ मैं
मेरे वो अरमान कहाँ है
हैं उसमें लाखों ख़ूबी पर
मेरी वाली शान कहाँ है
पा कर होता बोझा भारी
खोने में नुक़सान कहाँ है-