Kal tk tumne mere an-kahe shabdo
Ko bhi padh liya tha....
Aaj meri aankhein bhi na padh sake tum...
Ek tum hi to ho jisne mere jazbaaton
Ko samjha tha......
Per zindagi mein achanak aaye us mod se
Tumne apna rasta badal lia...
Us wqt bhi meri khamoshi na padh sake tum....
Badi umeedein thi mujhe tumse...
Jo bikharti hui dikhai di....
apni zindagi mein itna mashroof ho gaye tum...
Ki meri aankhein bhi na padh sake tum....
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अब मेरे जीवन में सिर्फ "शब्दों"
का ही महत्व रह गया
मुझसे मेरा गुरु जाते-जाते ये ही कह गया ।-
Naye-Naye shabdo ko
har jagahon par dhundhta hu ,
dil me pyar
to apni kalam par sabr rakhta hu ,
Khatam ho jayegi meri talash
kuch pal ke baad ,
Lekhak hu ,
har chhote se chhote shabdo ko
khuda ki tarah poojta hu.-
शब्दो के ढेर पर बैठकर खुद को छिपा रहा हूँ ।
दीपक की कलम को समुंद्र की तरह सज़ा रहा हूँ
एक नए दीपक से रचनाओ की आस लगा रहा हूँ ।
मैं शब्द-ए-कलम पकडने जा रहा हूँ ।-
शब्द ही तो है, क्या फर्क पड़ता है,
स्याही में डूबे,
तो कहानी,
खुद करू बयान,
तो मेरी जुबानी,
विचार ही तो है, क्या फर्क पड़ता है,
उड़ते गगन में ओंझल सा,
मेरे मन के दर्पण सा,
महज़ एक विचार,
बुनता,
बिखरता,
मेरी पहचान सा,
एक नाम,
नाम ही तो है, क्या फर्क पड़ता है।
- निहारिका यादव-
जब अपने ही ना समझे और मुँह मोड़ने लगे
डर के हम अपनी बात शब्दों में लिखने लगे-
शब्द क्या खाक बोलेंगे हुजूर,
जो दिल पर गुजरी है वो दिल ही जानता है।-
शब्दों को तोड़ना और जोड़ना
तो बस एक आदत थी |
बुराईयां तो उसकी बेवफ़ाई से
हमारी रोम रोम में शामिल थी |
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पढ़ो ना...
कुछ एहसास लिखे हैं
यहां
इन पंक्तियों में
कुछ शब्द दिख रहे हैं
सबके लिए
अलग-अलग मायने हैं
पर असल
अर्थ तुम समझ पाओगे
इन शब्दों का ,
अटपटी सी ,
गोलमोल लगने वाली बातें
सबको भ्रम में रखेंगी
सारे शब्द
एक दूसरे की बाहों में
झूलते हुए लगेंगे
पर तुम
उलझी हुई
शब्दों की एक डोर
पकड़ सुलझा लोगे
अपने शब्दों से
जो तुम लिखते हो
मेरी इन उलझी बातों का सार समझ पाओगे
और फिर मुस्कुरा दोगे
हां जानती हूं
फिर तुम उस एहसास को लिखना
जो महसूस किए हो
मेरे उलझे शब्दों को पढ़ते हुए ...।।-