इंसान परिंदो के घर उजाड़ कर... अपना घर बना रहा है... परिंदो को दुख देकर... खुद खुशियों से उछल रहा है... खुद उनके घर उजाड़ कर .. अपना आशियाना बना रहा... खुद सुख से रहने लगा है ... लेकिन परिंदो को खुले... आसमान में उड़ने को मजबूर कर रहा है ...😒
देकर यह हरा भरा पर्यावरण उस ईश्वर ने हम पर एहसान किया फिर क्यूँ घोलकर हवाओं में ज़हर हमने उनका अपमान किया प्राणिमात्र की सेवा में तत्पर अपनी शक्तियों को बलिदान किया फिर क्यूँ बना कर धरती को बंजर हमने उसको शमशान किया !
Being a vegan is like being that character in a horror movie who saw demon in Meat eaters, trying to warn everyone about their indirect funding for animal abuse, cruelty and further possible uncertainties for self, animal species and environment but no one believes you..!!