विपत्ति आ गयी है सिरहाने, अब हो चुकी बहुत देर है,
हवाओं में ये जो ज़हर घुला है, हम इंसानों की ही देन है।-
Fasaad ki aag ko dehka rahi hain,
ye siyasat ki chingariyan..
Kahin bujh rahe hain gharon ke chirag,
kahin jal rahi hain bastiyan..
-
ये दिल्ली थी दिल वालों की
अब दिल तो किसी का बचा नहीं
दम घुट रहा है दिल्ली में
अब पहले जैसा मज़ा नहीं
ये धर्म की सियासत
मेरा देश जला रही हैं
हर गली, कूचे से बस दर्द की आवाज़ आ रही है
अपनों को रौंदती भीड़ जा रही है
जल रही थी दिल्ली,दिल किसी का जला नहीं
दम घुट रहा है दिल्ली में
अब पहले जैसा मज़ा नहीं
-
तबाही का धर्म ?
सेको रोटियां तुम अपनी, इन दंगों की आंच में
अल्लाह और भगवान एक दिखें टूटे कांच में
झूठे धर्म के नाम पर ही धर्म को खाते हो
एक मां के आंसू देख, जो ये नारे लगाते हो
इमान बेच खाया तुमने, बांटा हर मुकाम पर
ऊपरवाले की सीख को भी बेचा सस्ते दाम पर
न तो हरा न ही भगवा तुम शैतानों के साथ है
दूसरों की मां को गाली, तू क्या कोई अनाथ है ?-
Kuch saans leni thi hmko
Us khule jahaan mein
Kmbkht delhi bhej die jaaenge
Ye kisine nhi btaya-
पुरा जिन्दगी लग जाता है एक घर बनाने में ,
लोगों को शर्म नहीं आती है बस्तीयां जलाने में !-
नफरतों की आंधी में भी
कुछ भाईचारे के दियों ने
इंसानियत की रौशनी कायम रखी है ,
और हमारी इंसानियत पर विस्वास
बांधे रखी है ।
My salutes to each and every people there who are helping their brothers and sisters .
You guys are angels.🙏🙏🙏🙏-