सालों से जिन अल्फाज़ो को ढूंढा..
सोचा नही था मिलने के बाद
इस क़दर ख़ुद-ब-खुद ग़ायब हो जाएंगे...,-
कितने दिनों का समावेश कुछ ऐसे है कि....
मुझे तकल्लुफ़ देना नहीं आता
की क्या छुपा है इस दिल में
क्यों किसी को जताया जाय कि
आख़िर मर्ज़ क्या है दवा क्या है।-
किसान से अच्छा कवि कोई नहीं है
उसकी उगाई हुई कविताओं से
हम अपना पेट भर सकते हैं।-
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है!-
कुछ कहानियां बनी है, तो कुछ यादें और जुरेंगी,
अभी आंखे नम हुई है, अब कुछ उम्मीदें फिर से जगेगी।
हां, माना कि जिंदगी छोटी सी है पर ख्वाब तो बड़े हैं।
हां कुछ जगहों पर कदम डगमगा जाते हैं पर ये उठते तो चलने के लिए ही है,
सीख जाऊंगा धीरे-धीरे इस जमाने से कदम से कदम मिलाकर चलना, थोड़ी भूल हुई भी तो क्या उम्मीद तो अभी भी बुलंद है।
कभी ना कटने दूंगा ये हौसलों की पतंगे जब तक है दिल में कुछ कर जाने की उमंगे,
हां माना कि कुछ ने तोरा है हमें कुछ ने किया है बिखरने पर मजबूर।
पर कुछ किस्से हमने भी सुने हैं हुजुर, हर सितारा टूटता है फिर भी चमक बिखेरती हैं आसमानों में चाहे हो कितने भी दूर।
जैसे हर शाम गुजर जाने के बाद आता है नया सवेरा और उसमें होती है एक नूर।
बुराईयां ढूढने निकलोगे तो हर चीज फीकी लगेगी,
जिसने हाथ थाम कर पीछे ले लिया उससे क्या उम्मीद करोगे यूं तो हर शख्स को जरुरत है एक साथी की पर चलते हैं ना कुछ कदम अकेले, आखिर सपने भी तो हमने अकेले ही देखे हैं इसमें भी हैं अलग शुरुर।-
ज़रा सी बात पे क्या रिश्ता ए वफ़ा तोड़ें!!
दिमाग़ होगा मगर दिल नहीं ख़राब उसका।
वो साँस साँस मुझे क़र्ज़दार रक्खेगा,
हज़ार करती रहे ज़िन्दगी हिसाब उसका।-
कितने दिलों को तोड़ती है ये कमबख्त फ़रवरी
यूं ही नहीं किसी ने इसके दिन घटायें हैं!-
तुम 'दिल्ली' से क्यों होते जा रहे हो
जिसे देखों तुम्हें इस्तेमाल कर लेता हैं!-