वो साथ बिताए लम्हो को
में नग्मो मे यूं ही उतार दूँ,
जहाँ शान्त हो मन तुम्हारा
तुमको ऐसा जहान दूँ,
इक दफा तुम अपना मानो मुझे
तो फिर तुम्हे, मै सँवार दूँ।
वो ख्वाब तुम्हारे उभार दूँ
मे श्रिंगार तुम्हारा निखार दूँ,
तुम बात करो, हमेसा सुकून से
आओ ऐसी स्मृतियां हज़ार दूँ,
इक दफा तुम अपना मानो मुझे
तो फिर तुम्हे, मैं सँवार दूँ।।
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बस कुछ अनलिखी व्याख्या है,
मेरे ख्यालो की,
कहाँ मेरे शब्दो मे जोर इतना
वेदना बयाँ जो मेरी करदे।।-
ख्यालो का झोल है सब
कुछ अकेलापन पन्नो पे उतारता हूँ,
में खुद्दार हूँ साहब,
में बस अपने बारे मे जानता हूँ।।-
अजीब कस्मकस रात भर की
मैने मेरे व्यग्र मन को
क्या-क्या कह के जगाया है,
पता नही,
किस ख्याल का जिक्र करने को
मैने फिर कलम उठाया है।
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जब आँखों मे हेवनियत झलकती हो
तुम स्वप्न स्वछ नियत की करती हो
वो एक दिन मन में आक्रोश लिये
एक दुर्घटना की,
तुम उम्मिद उनसे इंसानियत की करती हो।
(Must read caption)-
शाम तुम्हारे साथ गुजारू
हाथो में चाय की प्याली लेके,
शाम तुम्हारे साथ गुजारे,
खुद्को तुम्हारी बाहोँ में करके,
आ उस शाम की रोशिनी में,
खुद को खुद से कही दूर ले जाए,
यादें उस शाम की कुछ साथ बनाए,
डूबते हुए सूरज को, चन्दा का आना बताये,
आ कुछ वक़्त हम साथ गुजारे,
एक शाम तुम्हारे साथ गुजारे।-
They mock me, they tease
They need help, so they please
They backbite much more,
In front of me they talk grease
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