वो साथ बिताए लम्हो को में नग्मो मे यूं ही उतार दूँ, जहाँ शान्त हो मन तुम्हारा तुमको ऐसा जहान दूँ, इक दफा तुम अपना मानो मुझे तो फिर तुम्हे, मै सँवार दूँ।
वो ख्वाब तुम्हारे उभार दूँ मे श्रिंगार तुम्हारा निखार दूँ, तुम बात करो, हमेसा सुकून से आओ ऐसी स्मृतियां हज़ार दूँ, इक दफा तुम अपना मानो मुझे तो फिर तुम्हे, मैं सँवार दूँ।।
शाम तुम्हारे साथ गुजारू हाथो में चाय की प्याली लेके, शाम तुम्हारे साथ गुजारे, खुद्को तुम्हारी बाहोँ में करके, आ उस शाम की रोशिनी में, खुद को खुद से कही दूर ले जाए, यादें उस शाम की कुछ साथ बनाए, डूबते हुए सूरज को, चन्दा का आना बताये, आ कुछ वक़्त हम साथ गुजारे, एक शाम तुम्हारे साथ गुजारे।