رب کو میں اپنے منھ کیا دکھاوں گا اے حفیظ
سجدہ ادا جو شکر کا پیہم نہیں کیا
حفیظ بن عزیز
रब को मैं अपने मुँह क्या दिखाऊंगा ऐ हफ़ीज़
सजदा अदा जो शुक्र का पैहम नहीं किया
( पैहम = लगातार, बराबर )-
सजदा करती हू तेरे लिए ऐ कलम ...
किसीके दरद को बड़ी नरमाई से,
यू कागज पर बयाॅ करना कोई आम बात नही है...।।-
सजदे में तेरी,
ये सर झुक जाता है।
बाहों में तेरी,
हर लम्हा थम-सा जाता है।
क़बूल नहीं इन आँखों को,
नशिस्त करना किसी और का..
निगाहों में ही तो तेरी,
सारा जहां दिख जाता है।-
Zindgi mai agar koi chhod kar jaye to Dukhi mat hona...!
Balki shukr ka sajda karna...!
Kyunki...!
Hamara rab hamesha
hamare saath hai..!!!
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Wo bhi mil jati .....agar khuda se mnga hota hmne use......hum ibadat uski krte rahe....aur khuda hmse rootha raha
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रात से चांद के सिवा और क्या मांगू
तुझसे तुझे न मांगू तो और क्या मांगू
अभी तो उतारा गया है फ़लक से तुम्हें
पाक दामन से अत्फ़ के सिवा क्या मांगू
ये ज़मीं भी महकी, ये शजर भी महका
इश्क़ का मुसाफिर मैं, शहर से क्या मांगू
न जाने क्या मिला रखा है नजरों में तुमने
नशा काफी है इतना अब शराब से क्या मांगू
उसके हुस्न पर तो कातिब ने किताबें लिखी
तुझे अपना लिखने को मैं इक कोरा पन्ना मांगू
मोहब्बत तो कर ली मैंने शिद्दत से तुमसे
तेरे इंतजार के लिए सब्र के सिवा क्या मांगू
मंदिर मस्जिद गया, लाखों सजदे भी किए
तू बता तेरी ख्वाहिश में कितनी रातें जागूं
कहीं फूल खिलेंगे, कोई बाग संवरेगा अभय
तू मिल जाए ग़र मुझे तो खुदा से क्या मांगू-
लाख दुआऐं, लाख सजदे शामिल होते हैं ,🙏
किसी भी अपने को महज अपना बनाने में ,👈
क्यों महज चंद लम्हे लगते हैं उसे गवाने में..!!😌-
Shaitan meeti se nafrat Karne laga "Zohra"
Na poocho sajde Ka meyaar kya hain
شیطان مٹی سے نفرت کرنے لگا "زہرا"
نہ پوچھو سجدے کا معیار۔ کیا ہے-
दिल मै खुदा का होना ,
लाज़िम है इकबाल,
सजदों मै पड़े रहने से,
जन्नत नही मिला करती...!-