मेरे नबी की शान का
एक अलग ही मकाम है।...
सभी नबियों के बीच..
सबसे ऊँचा पयाम है।...
मेरे नबी जब भी चलते थे..
पत्थर भी कलमा पढते थे..
कायनात की हर चीज..
नबी की अजमत पे कुर्बान है।..
इस उममत मैं ..
जो भी नबी का वफादार हैं..
आखिरत मैं वो ..
मेरे नबी की शिफात का हकदार है।..
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Kuch khwaab dekhe hai,
Kuch rang soche hain,
Ab maine kal apne ...
Tere sang soche hain ♡-
अब लगता है तेरी बेवफाई
मेरे गुनाहो का सदका है
जो मेरा रब मुझे इतनी
ख़ूबसूरती से अता कर रहा है,,-
ज़िक्र-ए-ऩबी का सदक़ा हर बार मिल गया,
बेचैन दिल को सुकून मिल गया।
जब - जब झुका है "सज़दे" में सर मेरा,
परेशानियों से सिफ़ा मिल गया।-
Kahte hai ishq hone lage to sadka utar dena ..
मोहब्बत होगी तो मिल जायगी , बला होगी तो टल जायगी ..!!-
उतार दिया सदका अपनी मोहब्बत का
जो कभी उनसे बेपनाह हुआ करती थी..
अब तो वो मुफ़्त में भी मिले तो
उनकी खरीददार ना बनूँ!!-
मोहब्बत के मायने सिखा कर उसने,खेल खेला मेरे जज़्बातों से....
अब यक़ीन करें तो कैसे जो मुकर गया खुद की ही बातों से...!!-
क्यों बन गए तुम!!??
वो ख्वाहिश,जो अधूरी ही रह गई!
वो बन्दिश,जिसने मुझे किसी और का होकर पूरा भी नहीं होने दिया!
वो मंजिल,जिसका सफर बेमुक्कमल था!
वो शोर,जिसे सुनकर दिल में सन्नाटा ही पसरा था!
वो इश्क़ जो लाज़मी था, पर साथ वो जो कभी किस्मत में शायद लिखा ही न गया!
वो वक़्त,जो एक सपने की तरह था, पर सवेरे की चादर ओढ़े वो गुज़र ही गया!
वो लफ्ज़,जिसने होंठो से निकल कर दिल में घर बना डाला और हमें तन्हा देख कर वो और गूंज उठा!
वो डर,जो हर वक़्त तुझे खोने का रहता और आखिर में वो सच ही निकला!
वो नज़र, जो बेशकीमती सदका लगता था मुझे और उन्हीं नज़रों की नादानी ने मुझे ये सदमे दे दिए!
क्यों बन गए तुम वो,
जिसपे मैं दिल वार बैठी,
और आखिरकार सबकुछ हार बैठी!!
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