शादियों का मौसम है और हर रोज सिलसिला चल रहा है
कहीं दिल से दिल तो कहीं दौलत से दिल मिल रहा है
वधू के गुणों का गुणगान कहां दहेज का दरबार सजाए
जिसे देखो बस पूछ रहा है शादी का क्या बिल रहा है
किसी की मोहब्बत भी किसी और को नजर की जा रही है
महज एक घर की जिम्मेदारियां दूजे के घर की जा रही है-
सदियाँ गुजर गई मेरी मोहब्बत को रूसवा किए हुए तुम्हें
पर अब भी तुम यादों में आकर रुलाया करते हो।-
नदीयों की तरह बह गयी सदीयां मेरी कभी
और तुम से मिल के लम्हा ठहर के जम गया
-
मालुम था की उनका हर वादा जुटा था
जाते हुए लोट आने का वादा कर जाते तो
जिंदगी जीने का बहाना तो रह जाता ना
जुटे वादे के भरोसे ही सही पलभर
की सदिया बिता लेते हम-
यूं दिन रात मेहनत कर, अपने चाहतों कि भूख बढा़, संवार लो अपनी जिंदगी...
-
"Namaz_E_Ishq To Ali_O_Hussain Ne Kia Tha Duniya Mein"
"Sadiya Guzar Chuki Sir Ajj Bhi "Sajde" Mein Hai"
#lines_written
#By:- #shahjad_qureshi
#muharram_Mubarak_1440
-
यूँ भी क्या तकल्लुफ करे की कैसे हुआ
मैंने भी इसी उम्मीद में सदियाँ गुजारी है-
धीरे धीरे पास वो आया यू मेरे
प्यार का जाम भी पिलाया यू मुझे
बुझ रही थी सदियों से मैं जो इस कदर
जाते जाते हवा यू दे गया मुझे-