हसरतों का पुलिंदा लेकर
चल पड़ी ये जिंदगी,
कुछ पुरी तो कुछ - कुछ
अधूरी -सी ये जिंदगी
पता नहीं हसरतों का पुरा
होना बाकी है या
जीने कि ख्वाहिश में अधूरी ही
ढ़लती रहेगी ये जिंदगी।-
मैं कोई कवि या शायर नहीं
मैं तो बस अपने दिल की सकुन के लिए
लिखती हू... read more
लिखने को तो हर पैगाम लिख दूँ
अपने जज्बातों को सरेआम लिख दूँ
पर ,जरा सोच लेना जमाने वालों!
कि कहीं खास लोगों को न आम लिख दूँ।-
उसे भुलाकर जीना न आया मुझे
कि ऐसा कोई पल नहीं गुजरा जब
उसकी याद ने नहीं रुलाया मुझे।
बहुत ही अजीब कशिश थी उसकी
मुहब्बत में यारों!
कि उम्र भर उसकी यादों ने तड़पाया है मुझे।-
मुझमें तू अब भी बांकी है थोड़ी -सी
जबकि मै खुद को खोने लगी हूँ!
ये इश्क़ भी अजीब ही रहा
जिंदगी मे कि खुद से ही अब दूर होने लगी हूँ।-
ऐ जिंदगी! कुछ ऐसी
सौगात दे दे !
तू अपनी सारी खुशियां
मेरे हाथ दे दे !
रख ले तू मेरी सारे दुख ,ग़म और
जिम्मेदारी, गिरवी की तरह कुछ
दिनों के लिए
बाद में चाहे
सब तू मेरे साथ दे दे!-
जिंदगी अब उस मुक़ाम पर आ गई हैं यारों!
कि अब किसी से भी नाराजगी नहीं रहती
सब छोड़ दिया है उस रब पर मैने,
कि अब तकलीफ भी होती है तो जाहिर नहीं करती।
-
चलों ऐ जिंदगी! एक शाम तुझसे मिलतें है
खुलकर दिल के सारे रंजो-गम तुझसे ही कहते हैं।
बहुत रुलाती है तू हर मोड़ पर मूझे ,
चलो !तुझसे ही कुछ खुशियाँ उधार ले लेते हैं।-
कभी फलसफा़
ऐ जिंदगी ! तो कभी
इश्के -महोब्बत
लिख देती हूँ।
कभी एहसास
तो कभी
टूटे दिल की दास्ताँ
लिख देती हूँ।
बहुत महरुम है हर बात
से मेरी दिवानगी सनम!
कभी तेरी यादें तो कभी
तेरी बातें तो कभी
तुम लिख देती हूँ।-