कविता अनुशिर्षक में पढे़
सपने-
मैं कोई कवि या शायर नहीं
मैं तो बस अपने दिल की सकुन के लिए
लिखती हु... read more
कौन जाने कौन सा पल या
सफर आखिरी हो
कौन जाने कौन सा मंजिल आखिरी हो
जो है वो इस पल में है ,एक पल में
में क्या से क्या हो जाये तो
जी लो हर पल को अपने अंदाज से यारो !
कि कोई कसक बाकी न रह जाये ।-
तु बार -बार मूझे हराने की कोशिश करती है ऐ जिंदगी !
पर तूम्हे पता नहीं की मै बाजीगर हूँ जो हारते हारते भी तुझसे जीत ही जाती हूँ।-
भले मजदूर हूँ मैं पर देश का भाग्य विधाता हूँ
हर बड़े से छोटे वस्तु का निर्माता हूँ ।
मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।-
ये धर्म का नंगा नाच कब तलक चलेगा ?
ये जाति के नाम पर आतंक कब तलक चलेगा ?
कब तलक बेकसूर लोग मारे जायेंगे?
कब तलक नेता राजनीति
की सोने की रोटी खायेगें?
खोखली और निकम्मी सरकार
की जुमले -बाजी कब तलक चलेगी?
जनता मूर्ख और अंधभक्ती कब तलक बनेगी ?
हिन्दू मुस्लिम को लड़वाना इनका हथियार है
जो खास मुद्दे हैं उन पर वोट
लेने की इनकी नहीं औकात है।
बना रहे हैं आज के यूवाओं को दंगाई
कलम की जगह आज इनके हाथ में हथियार हैं।
हिन्दू मुस्लिम के नाम पर ये
हरदम लड़ने को तैयार हैं।
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