अल्फाजों से खेलने का शौक रखती हूं
अपने दिल के ख्यालातों का मौल रखती हूं
सच हैं मैं पीहू रिश्ते सारे अनमोल रखती हू
कोहिनूर की परख कर ली है मैंने उस पर
जाने कब से मैं पूरी तरह नजर रखती हूं
यूं तो बहुत डरती हूं दुनियां के इन ढकोसलों से
पर अब तो बस अपनी ही मंजिल पर नजर रखती हूं
कभी कभी जब पलकों के कोने अतीत के
बबंडरों में फंस कर भीग जाते है तो
मैं एक सुनहरे कल का सफर रखती हूं
सच हैं न मैं रोना जानू न मैं हंसना जानू
मैं तो बस वक़्त के साथ ही बहना जानू
कोई लाख मुझे गलत साबित करे
पर पहले खुद के अंतर्मन में देख ले
खिलौना नहीं हूं मैं कि मुझसे खेले और फेंक दे
जज्बातों से भरी एक ऐसी नारी हूं
प्यार की एक अधूरी प्रेम कहानी हूं
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