एक दिन मिलोगे किसी मोड़ पर मैं इस झूठी आस में रहता हूँ । तुम भी फिक्र करते हो मेरी आज़कल इस उधेड़बुन में रहता हूँ । कुछ पल के लिए साथ मिल जाए तुम्हारा हर एक पल इसी आस में रहता हूँ ।
आजकल मैं तन्हा सा हूँ मेरा सहारा छिन गया । रात भर बातें करने वालों से मेरा किनारा हो गया ।। अब हाल-ए-दिल छुपा लेता हूँ सबसे अकेलेपन से मेरा याराना हो गया
कैसे भुलाऊं तुम्हारी यादें कुछ बताओ तो सही क्यों किनारा कर लिया तुमने कुछ बताओ तो सही हर रात करवटें बदलकर कटती है हमारी तुम इस क़दर क्यों याद आते हों हमे बताओ तो सही
काश तेरे प्यार के सायें में रह पाता काश बेबसी के बंधनों को तोड़ पाता काश तुम्हें समझा पाता मैं कितना तन्हा हूँ तुम्हारे बिना काश मैं अपने आलम तुम्हें समझा पाता काश................💔
तेरे ख्यालों-ख्वाबों के दरमियाँ रहने का मसला । तेरी यादों की महफ़िल का मुसाफ़िर बनने में मसला ।। मेरे हालातों से रूबरू हो तुम । फिर भी तुम्हें समझ ना आनें का मसला ।।