पिया मिलन को आतुर नैना, बैठे आस लगाये
हर आहट पर चौंक के देखें,जैसे प्रियवर आये,
चंचल मन ना माने है, जग की कोई रीत
बावरा सा दौड़े भागे, जब से लागी प्रीत,
इक आलिंगन की आस में जियरा, जागे सारी रतियाँ
रास ना आये बैरी मन को, सखियों की भी बतियाँ,
छवि निहारन जो मैं बैठूँ, लाज से मैं मुस्काऊँ
फिर व्याकुल हों नैना बरसे, जो अधीर हो जाऊं,
कैसा रोग लगाये बैठी, का करुँ समझ ना आये,
कैसे मनवा धीर धरे अब कोई दियो बताये ...
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