हम तो ख़्वाबो मे भी उनसे दूरियाँ तय ना कर पाए,
खेर हकीकत कि तो बात ही छोडिए।-
अब भर गए हैं जख्म मेरे,ये घाव आखिरी है।
और सुनो
हो रही हूँ मै तुमसे जुदा,ये मुलाकात आखरी है।-
सब से दूर यूँ छुप के तु अकेले बैठा न कर।
उन पुराने ख्यालों में खो कर दर्द को कुरेदा न कर।
और हाँ छोड़ कर गये हैं जो लोग तुम्हें,
उनके बारे में सोच कर तू रात-रात भर अश्क बहाया न कर।-
अक्सर सुना है लोगो से कहते कि बातें खत्म हो जाने से रिश्ता भी खत्म हो जाते हैं।
सुनो ना दरमियां हमारे जो बातें अधुरी रहे गई है उन बातों को अब अधुरी ही रहने देते हैं।-
कि बदल गई हूँ मैं,
मुझमें वो दीदार रहने दो।
अरे...... क्या कहा,
कुछ बातें अधूरी हैं।
तो सुनो.......
उन अधूरी बातों को अब अधूरी रहने दो।-
क्या दर्द को भी दर्द होता होगा?
बिन कहे वो सब सहता होगा?
उसे भी तो तलब रहती होगी खुशी की,
या अन्दर ही अन्दर घुट के मरता होगा?-
ना जाने जिंदगी बोझ सी लगने लगी है।
खुशीयाँ भी कांटो सी चुभने लगी है़।
दर्द सहते सहते कुछ यूँ थक गई हूँ
कि आँखे भी मौत का इंतजार करने लगी है।।-
सोचा नहीं था कभी वो दूर का सितारा इतना करीब आ जाएगा।
ना चाहते हुए भी उससे जिंदगी भर का रिश्ता जुड़ जाएगा ।
ऐसा असर हुआ उसके संग गुजारे हुए कुछ लम्हो का,
की वो अजनबी मेरी हर इबादत में शामिल हो गया।-