सजदों के अलावा सुकून तेरी बातों में है
दिन तो बस गुजर जाता है आराम रातों में है
तेरे छू लेने से ही तबीयत दुरुस्त हो जाए
दवा में वो असर कहां जो तेरे हाथों में है-
लबों से लव कभी तो टकराना चाहिए
प्यार है तो फिर नजर भी आना चाहिए
तू चेहरे से दुपट्टा को हटा के आया कर
मैंने कब कहा रोज-रोज शर्माना चाहिए-
मुझे दे दो पनाह अपनी जुल्फों की छांव में
अपने हाथों से पहनाऊंगा पायल तेरे पांव में
तू ज़ख्म दे या ना दे ये तो तेरी मर्जी ज़ालिम
मैं तो तेरे लबों से मरहम लगाऊंगा घाव में
तेरा किराएदार नहीं सनम, मकान मालिक हूं
तू बता अपने घर छोड़ के भला क्यों जाऊं मैं
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जाने कैसा ये हुनर आता है तुमको,
रात होते ही मेरी आंखों में उतर जाते हो तुम,
मैं खयालों से बचकर कहाँ जाऊँ तुम्हारे,
मेरी सोच के हर रास्ते पर नज़र आते हो तुम,
दिन तो बीत जाता है मेरा कामों में जैसे तैसे,
पर रातों को दो पल मैं तुम्हारा साथ चाहती हूँ,
आंखों में जो जम जाए वो बरसात चाहती हूँ,
सुना है बहुत चाहते हो मुझे तुम,
मगर मैं तुम्हारी जुबां से एक बार इज़हार चाहती हूँ...!
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ज़िन्दगी को बेशक लगे मुहब्बत जन्नत
मगर दिल के लिए लगी होती इज्ज़त दाव में
दामन पर लगे ज़रा सा भी दाग तो
कोई आगे नहीं आएगा बचाव में
समझोतों से चल रही ज़िन्दगी जहां
कैसे बह जाएं जज़्बात बहाव में
वक्त को करना पड़ेगा इंतजार थोड़ा
रूह आधी ख़त्म हो जाती बदलाव में
-विवेक सुखीजा
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उससे जबसे शनासाई है,
राहत मेरी जां में आई है,
सुब्ह भी हुई खुशनुमा,
फिर रात रुमानी आई है,
सदके उसके उतारूं मैं,
मेरी इबादत रंग लाई है,
मर्ज हो कैसे ठीक अब,
वो जो मर्ज बनके आई है.-
ज़ुबां पर आएगी न वो बात जो जज़्बातों में है
इश़्क बेशक हमें है मगर दहशत हालातों में है
चाह कर रोक नहीं पाता हर दफ़ा इज़हार करना
न जाने क्या जादू तुम्हारी इन मुस्कुराहटों में है-
इनायत है खुदा की मिले मुझे हो तुम,
खुदा ने दिया जो वो नायाब तोहफा हो तुम,
मिलता है सुकून बात करने से तुमसे ,
सुधर जाती है तबियत मेरी बिन दवा के,
ऐसा असर मेरे लिए तेरी बातों में है...-
मिल ही जाती है कुछ दर्द में भी खुशी,
बस यहीं दर्द इश्क़ ए दिल के सिवा हो,
मेरे दिल की दास्तां सरेआम क्यों करना,
ऐ दिल का क्या है कल अच्छा भला हो।
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उन्हें क्या पता है कि क्या मांगा है !
मुझसे मेरा हर इक हिस्सा मांगा है !!
मेरी सांसों, मेरी धड़कन पर हक़ चाहा है,
मेरे किरदार से मेरा किस्सा मांगा है!!-