मैं बना ही था शायद इसलिए,
रहे उफ़्ताद सदा नज़्र जिंदगी में मेरी.-
तअ'ल्लुक का बोझा है दरकिनार नहीं कर सकते,
वादा जो इक मरासिम का वो अपनाइयत मंगता है.-
चाहे चला जाऊं मैं दुनिया के किसी कोने में,
ए अहबाब! मेरे दिल में तिरी ही रिहाइश रहीं है.-
गूंज रहा हूंँ अंदर अंदर बाहर इक खामोशी है,
ये कैसी चीखें हैं कि जिसमें इक ख़ला तारी है.-
तुम को 'गर आखिर में पत्थर ही बनाने थे,
फिर किसलिए ओ शीशागर तूने दिल बना डाला.-
अपने हाथों ही मारे जा रहे हैं,
जबसे उसकी निगाहों में आ रहे हैं,
हुस्नों जमाल बस खेल है उसका,
और दीवानें इसमें चक्कर खा रहे हैं.-
अपनी आंखों का खसारा कर जाऊंगा,
तेरे ख्वाबों से अगर किनारा कर जाऊंगा,
नीम-शब आए हो तुम्हें क्या लगता है,
के सो कर के तुम्हें मैं बेसहारा कर जाऊंगा,
लम्हा दर लम्हा इश्क किया तुमसे मैंने,
हर लम्हा इसी के सहारे गुज़ारा कर जाऊंगा,
मैं तेरी सांसों को दूर ही से गिन सकता हूंँ,
जाने से पहले मैं खुदको तुम्हारा कर जाऊंगा.
इसी तरह से 'गर लुटना है मुझे तो फिर,
मैं तेरी यादों को बरसने का इशारा कर जाऊंगा.-