QUOTES ON #RESERVATIONSYSTEM

#reservationsystem quotes

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20 APR 2018 AT 17:56

भ्रम इतने बड़े भी पाल ना ऐ दिल
तू ख़ुद की चाहत तो मुक्कमल कर न सका,
और सोंचता है चंद तख्तियों और नारों से
समाज बदल जाएगा..

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4 APR 2018 AT 15:47

Fight for the Deserved
&
Outright the Reserved.

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6 OCT 2018 AT 9:55

आरक्षण में तुम यूँ ही हर पीढ़ी उलझाये रखना,
गर तालीम नसीब हुई तो ये भी बागी हो जाएंगे।

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7 MAY 2020 AT 8:38

आराक्षण हमे ज्यादा लगता था। इसके 2 कारण है
(1) हमने कभी देखा या महसूस ही नही किया है कि क्या होता हैं जब लोग आपको अछूत समझते हैं, आपको देखते ही दूर जाने लगते हैं और आपको बीमार समझा जाता हैं।
(2) हमारा जन्म आजाद हिंदुस्तान में हुआ है ओ भी तक जब हमारे कायदे कानून किसी धर्म ग्रंथ के हिसाब से नही बल्कि आज के समय के अनुसार रहने वाले संविधान से तय होता हैं।

अभी की जो परिस्थिति हमारे सामने है कोरोना वायरस वाली आप इसमें अछुतो की जिंदगी देख भी सकते हैं और महसूस भी कर सकते हैं।
और हा जनाब ये तो बस 14 दिन की बात है, देखते देखते कट जाएगा, जरा उनके बारे में सोचिये।

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5 APR 2018 AT 10:13

ये आरक्षण-संरक्षण के ढोंग कहीं और रचाओ साहब,
हमारे यहाँ गरीबी की कोई ज़ात नहीं होती ।

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29 JAN 2022 AT 13:25

Caste Based Reservation can be justified in small rural villages but it cannot be justified in cities and towns.
Also if someone is doing discrimination, he/she must be punished.
We want to remove Caste Based Reservation and Caste Based Discrimination both.
Human created for love not for hate.— % &

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1 AUG 2020 AT 10:56

Nothing will work to improve Indian education system unless and until caste based reservation system is removed.

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12 AUG 2018 AT 22:21

Juggadu is the thing that we Indians know from decades and yes do's always but now we need to remove reservation and after years of constitution finally we should given the tag of so called equality by erase of reservation act.

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3 APR 2018 AT 8:38

तुम्हें दिये गये मौके को अपनी तकदीर मत समझो
खैरात में मिले हक को अपनी जागीर मत समझो

जिन्हें शेर के मुंह में हाथ डालकर दांत गिनना आता है
खैरात बांटने वालों को अधिकार छीनना आता है

उत्पात मचा कर रखे हो और बढ़ी हुई जो हिम्मत है
हक अपना खोकर चुप हैं जो समझो यही गनीमत है

छींटों भर औकात नहीं जो बादल बनकर बरसोगे
रोटी के लाले पड़ जाएंगे खाने को भी तरसोगे

फेंकी हुई जूठी पत्तल को कब तक ऐसे चाटोगे
आरक्षण के नाम पर बोलो कब तक देश को बांटोगे

गर ऊंचा ओहदा चाहते हो तो मेहनत करो पढ़ना सीखो
गर बराबरी में रहना है तो बराबरी में लड़ना सीखो।

©उन्मुक्त

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1 OCT 2021 AT 23:19

Traffic

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