भ्रम इतने बड़े भी पाल ना ऐ दिल
तू ख़ुद की चाहत तो मुक्कमल कर न सका,
और सोंचता है चंद तख्तियों और नारों से
समाज बदल जाएगा..-
आरक्षण में तुम यूँ ही हर पीढ़ी उलझाये रखना,
गर तालीम नसीब हुई तो ये भी बागी हो जाएंगे।-
आराक्षण हमे ज्यादा लगता था। इसके 2 कारण है
(1) हमने कभी देखा या महसूस ही नही किया है कि क्या होता हैं जब लोग आपको अछूत समझते हैं, आपको देखते ही दूर जाने लगते हैं और आपको बीमार समझा जाता हैं।
(2) हमारा जन्म आजाद हिंदुस्तान में हुआ है ओ भी तक जब हमारे कायदे कानून किसी धर्म ग्रंथ के हिसाब से नही बल्कि आज के समय के अनुसार रहने वाले संविधान से तय होता हैं।
अभी की जो परिस्थिति हमारे सामने है कोरोना वायरस वाली आप इसमें अछुतो की जिंदगी देख भी सकते हैं और महसूस भी कर सकते हैं।
और हा जनाब ये तो बस 14 दिन की बात है, देखते देखते कट जाएगा, जरा उनके बारे में सोचिये।-
ये आरक्षण-संरक्षण के ढोंग कहीं और रचाओ साहब,
हमारे यहाँ गरीबी की कोई ज़ात नहीं होती ।-
Caste Based Reservation can be justified in small rural villages but it cannot be justified in cities and towns.
Also if someone is doing discrimination, he/she must be punished.
We want to remove Caste Based Reservation and Caste Based Discrimination both.
Human created for love not for hate.— % &-
Nothing will work to improve Indian education system unless and until caste based reservation system is removed.
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Juggadu is the thing that we Indians know from decades and yes do's always but now we need to remove reservation and after years of constitution finally we should given the tag of so called equality by erase of reservation act.
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तुम्हें दिये गये मौके को अपनी तकदीर मत समझो
खैरात में मिले हक को अपनी जागीर मत समझो
जिन्हें शेर के मुंह में हाथ डालकर दांत गिनना आता है
खैरात बांटने वालों को अधिकार छीनना आता है
उत्पात मचा कर रखे हो और बढ़ी हुई जो हिम्मत है
हक अपना खोकर चुप हैं जो समझो यही गनीमत है
छींटों भर औकात नहीं जो बादल बनकर बरसोगे
रोटी के लाले पड़ जाएंगे खाने को भी तरसोगे
फेंकी हुई जूठी पत्तल को कब तक ऐसे चाटोगे
आरक्षण के नाम पर बोलो कब तक देश को बांटोगे
गर ऊंचा ओहदा चाहते हो तो मेहनत करो पढ़ना सीखो
गर बराबरी में रहना है तो बराबरी में लड़ना सीखो।
©उन्मुक्त-